पंजाब के किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि यह पंजाब के किसानों के साथ धक्का है। पंजाब का किसान 38,500 करोड़ की बासमती उगाकर निर्यात करता है। पिछले सालों का परिणाम व मुनाफा देखकर किसान इस बार बासमती की तरफ ज्यादा आकर्षित हो गया था। इसलिए सूबे में 20 फीसदी रकबा बढ़ गया लेकिन अब किसान चिंतित है कि फसल किसको बेचेगा?
केंद्र सरकार की ओर से बासमती राइस का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1200 डॉलर प्रति टन करने से किसानों की आशा व मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसानों ने इस बार पंजाब में 20 फीसदी बासमती का रकबा काफी उम्मीदों से बढ़ाया था। बावजूद इसके बासमती का खरीद दाम उचित नहीं मिल रहा है।
बासमती निर्यातकों का अलग से नुकसान हो रहा है। उन्हें विदेशों में खरीददार नहीं मिल रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ने बासमती पर एमईपी नहीं रखी है। लिहाजा विदेशों में पाकिस्तान की बासमती ने कब्जा करना शुरू कर दिया है। निर्यातक इस बात से परेशान हैं कि ज्यादा दाम होने की वजह से भारत अपने बड़े ग्राहक आधार को खो सकता है।
पंजाब में सबसे ज्यादा बासमती चावल का उत्पादन होता है और इस फैसले से उसी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। पंजाब के बासमती एक्सपोर्ट एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी का कहना है कि हमने पिछले दो दिन से बासमती की खरीद बंद कर दी है। हमारे साथ पंजाब के 3700 किसान जुड़े हैं जिनको हमने ट्रेनिंग देकर पंजाब में बासमती उगाने के लिए प्रोत्साहित कर नेटवर्क तैयार किया लेकिन अब उनकी बासमती खरीदने वाला कोई नहीं है।
40 से अधिक देशों में निर्यात
पंजाब के किसान 140 से अधिक देशों में बासमती चावल भेजकर निर्यात में लगभग 35 फीसदी का योगदान करते हैं। पंजाब की पूसा बासमती 1509 की फसल 4500 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकनी शुरू हुई थी। लेकिन निर्यातकों को विदेशों से ऑर्डर न मिलने के कारण बासमती अब बाजार में 3300 रुपये प्रति क्विंटल पर आकर गिर गया है। किसान चिंतित हैं क्योंकि पंजाब में इस साल 20 फीसदी बासमती का अधिक उत्पादन हुआ है।
वर्ष 2022-23 के लिए भारत में बासमती चावल का कुल उत्पादन 6 मिलियन टन है। अचानक 1200 अमेरिकी डॉलर एमईपी लगाने का निर्णय निर्यात की औसत कीमत से लगभग 150 अमेरिकी डॉलर अधिक है। 25 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ ऑनलाइन मीटिंग के बाद अब तक निर्यातक इसे 850 से 900 डॉलर प्रति टन होने की उम्मीद लगाए रखे थे। लेकिन टर्की के इस्तांबुल में लगे इंटरनेशनल फूड फेयर से बासमती के लिए कोई आर्डर नहीं मिला। जबकि भारत ने पिछले साल अब तक का रिकॉर्ड बासमती चावल एक्सपोर्ट किया गया था।
केंद्र सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंधों से व्यापारियों को झटका
पंजाब के मिल मालिकों ने कहा है कि बासमती चावल पर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों से चावल उत्पादक राज्यों के किसानों और व्यापारियों को भारी झटका लगा है और इससे अंततः पाकिस्तान के निर्यात उद्योग को फायदा होगा। एसोसिएशन के अशोक सेठी का कहना है कि हाल ही में इस्तांबुल में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मेले में, भारतीय चावल निर्यातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि हाल ही में एमईपी लगाए जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने पाकिस्तान का रुख किया।
बासमती के उत्पादक पंजाब, हरियाणा व पाकिस्तान ही है। अब पंजाब हरियाणा की बासमती के निर्यात पर 1200 डॉलर एमईपी कर दी गई है, जिसका पूरा फायदा पाकिस्तान उठाने लगा है। पाकिस्तान की बासमती विदेशों में 800 अमेरिकन डॉलर प्रति क्विंटल है। हम मुकाबला कैसे करेंगे ? हमने तो केंद्र सरकार को कहा है कि आप एमईपी 900 डॉलर तक कर दो, हम पाकिस्तान का मुकाबला कर लेंगे और अंतराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा बरकरार रखेंगे।
प्रतिबंधों का किसानों पर नकारात्मक प्रभाव
कृषि विशेषज्ञ हरि सिंह बराड़ का कहना है कि प्रतिबंधों का किसानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जिन्होंने इस साल पंजाब में बाढ़ के कारण बासमती की खेती का विस्तार किया है। इस साल बाढ़ के कारण पंजाब का बासमती खेती क्षेत्र पिछले साल के 4.94 लाख हेक्टेयर से एक लाख हेक्टेयर बढ़ गया है। पंजाब में लगभग 2 लाख किसान बासमती चावल की खेती में लगे हुए हैं।