ये प्राणायाम ब्लडप्रेशर कम करता है। एसीडिटी और पेट के अल्सर तक में आराम मिलता है। पाचन शक्ति बढ़ती है और दिल की बीमारियां नहीं होतीं।
सबसे जरूरी बात, जिससे आज कोई अछूता नहीं है यानी मानसिक और भावनात्मक उत्तेजना को ये प्राणायम कम करता है।
शीतली प्राणायाम करने की विधि
इसे करने के लिए साफ-सुथरी जगह पर आसन बिछाएं और उस पर बैठ जाएं। इस शीतली प्राणाम की खास बात ये है इसमें आप किसी एक प्रकार की अवस्था में बैठने के लिए बाध्य नहीं होते। लेकिन बेहतर ये रहेगा कि आप सिद्धासन या पदमासन की अवस्था में बैठें।
अपनी जीभ को बाहर निकालें और एक नली यानी पाइप की तरह आकार दें।
नली नुमा जीभ के सहारे श्वास को धीरे-धीरे अंदर खींचें और पेट में भरकर मुंह बंद कर लें। जबड़े के अगले हिस्सो को छाती से सटा लें। कुछ देर श्वास रोकें और फिर गर्दन को सीधा कर नाक से श्वास बाहर निकाल दें।
याद रहें कि श्वास बाहर निकालने का समय श्वास लेने के समय से ज्यादा हो। यानी जीभ के सहारे श्वास को धीरे-धीरे अंदर लेना भी है और स्वाश छोड़ते वक्त श्वार और धीरे से छोड़ना है।
इस क्रम को आप अपनी क्षमतानुसार 10 से 50 बार तक कर सकते हैं।
ये लोग न करें
बेहद गौर करने वाली बात ये है कि दमा, जुकाम, लो ब्लडप्रेशर से ग्रसित लोगों को ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
परामर्श लें
शीतली प्राणायाम करने में बहुत ही आसान है। सुबह की ताजी हवा में इसे करने से लाभ और बढ़ जाता है। लेकिन फिर भी जरूरत महसूस करें तो किसी प्रशिक्षण प्राप्त विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।