विश्व प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब के कपाट आगामी 25 मई को तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिए जाएंगे। इसे लेकर यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। यात्रा की तैयारियों में मुख्य कार्य यात्रा पथ से बर्फ को हटाने का रहता है। यह काम हर साल भारतीय सेना के जवान करते हैं।
सुबह गुरुद्वारा गोविंद घाट में गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में अरदास कर इजाजत ली गई। इसके बाद पहली टुकड़ी व गुरुद्वारा के सेवादारों को गुरुद्वारा ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सेवा सिंह ने घांघरिया के लिए रवाना किया। में अभी भी करीब 10 फीट तक बर्फ जमी हुई है। ऐसे में बर्फ हटाने के लिए आज ब्रिगेड कमांडर ब्रिगेडियर ढिल्लों के निर्देश पर 418 इंडिपेंडेंट इंजीनियरिंग कोर के ओसी कर्नेल सुनील यादव ने हर सेवक सिंह व प्रमोद कुमार के नेतृत्व में सेना के जवानों को बर्फ हटाने के लिए भेज दिया है।
सुबह गुरुद्वारा गोविंद घाट में गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में अरदास कर इजाजत ली गई। इसके बाद पहली टुकड़ी व गुरुद्वारा के सेवादारों को गुरुद्वारा ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सेवा सिंह ने घांघरिया के लिए रवाना किया।
यह जत्था कल घांघरिया से हेमकुंड साहिब बर्फ हटाने के लिए पहुंचेगा। 35 जवान व गुरुद्वारा के सेवादार यह जिमेदारी निभा रहे हैं।
सर्दियों में हेमकुंड साहिब में हमेशा भारी बर्फबारी होती है। जिसके चलते यहां जगह-जगह हिमखंड पसरे रहते हैं। हेमकुंड साहिब से दो किमी पहले अटलाकुडी के पास भारी भरकम ग्लेशियर आया हुआ है।
यहां बर्फ को बीच से काटकर रास्ता बनाया जाना है। यहां का पवित्र सरोवर भी पूरी तरह बर्फ से जम गया है।