बर्ड फ्लू का कहर : हिमाचल में 1000 से अधिक पक्षियों की मौत

दुनिया भर में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। देश में कोरोना संकट के बीच बर्ड फ्लू के नए खतरे ने दस्तक दे दी है। राजस्थान और मध्यप्रदेश के बाद अब हिमाचल में 1000 से अधिक पक्षियों की मौत हो गई है। चिंता की बात यह है कि यह अब और तेज गति से फैलने लगा है।मृत परिंदों के सैंपल लेकर मध्यप्रदेश के भोपाल की एक प्रयोगशाला में भेजे गए हैं।

राजस्थान के झालावाड़ जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद शनिवार को पहली बार कोटा और पाली में भी कौवों की मौत हुई। अब यह पांच जिलों में फैल चुका है। शनिवार को बारां में 19, झालावाड़ में 15 और कोटा के रामगंजमंडी में 22 और कौवों की मौत हुई। कोटा संभाग के इन्हीं तीन जिलों में अब तक 177 कौवों की मौत हो चुकी है। मध्यप्रदेश के इंदौर में भी 13 और कौवों की मौत हुई।

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बाद हिमाचल प्रदेश के पाेंग डैम अभयारण्य में एक हफ्ते में 1,000  से अधिक प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। पाेंग डैम अभयारण्य में हर साल अक्तूबर से मार्च तक रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया, चीन, तिब्बत आदि देशों से विभिन्न प्रजातियों के रंग-बिरंगे परिंदे लंबी उड़ान भर यहां पहुंचते हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अब इन पक्षियों की अचानक मौत हो रही है। वन्यप्राणी विभाग ने बर्ड फ्लू की आशंका के चलते जिलाधीश कांगड़ा को अवगत करवा झील में सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

बारां जिला में एक किंग फिशर और मेगपाई की भी मौत हाे चुकी है। इसके अलावा, पाली के सुमेरपुर में भी अलग-अलग जगह आठ कौवें मरे मिले हैं। जोधपुर में शनिवार को कोई मौत नहीं हुई, लेकिन यहां अब तक सवार्धिक 152 कौवों की मौत हो चुकी है। कोटा संभाग में बर्ड फ्लू के कारण लोगों में दहशत है। झालावाड़ के छोड़कर बाकी जगह के सैंपल नहीं आए हैं, लेकिन मौतों काे देखते हुए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, एमएल मीना प्रदेशभर में अलर्ट जारी कर चुके हैं। झालावाड़ में कंट्रोल रूम बना दिया गया है। बाकी जगह भी तत्परता से कार्रवाई की जा रही है।

अगर बर्ड फ्लू का वायरस मुर्गियाें में भी पाया गया, तो यह सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा। मुर्गियों से इंसानों में वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है। इसके अलावा शीतकालीन प्रवास के लिए हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी प्रदेश में आए हुए हैं। इनमें भी वायरस का डर सताने लगा है। सांभर झील त्रासदी के समय भी सबसे अधिक विदेशी पक्षी ही महामारी की चपेट में आए थे।मृत परिंदों के सैंपल लेकर मध्यप्रदेश के भोपाल की एक प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।

 

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