देश की राजधानी दिल्ली में अपने वाहन से चलने वालों को बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि दिल्ली में प्रस्तावित नई पार्किंग नीति के तहत कनॉट प्लेस जैसे विशेष इलाकों में कार पार्किंग की एवज में लोगों को 10 घंटे की अवधि के लिए 1000 रुपये तक चुकाना पड़ा सकता है। दिल्ली के चुनिंदा भीड़भाड़ और पॉश इलाकों में नई पार्किंग नीति के तहत 5-6 घंटे के लिए 500-700 रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं।
यह रकम भी महंगी पार्किंग में शुमार होती है, क्योंकि दिल्ली में एक कोने से दूसरे कोने तक जाने में 500 रुपया टैक्सी किराया होता है। यह रकम किसी भी दिल्ली वासियों के लिए काफी महंगी होगी, क्योंकि अगर किसी को महंगे इलाके में कार पार्क करनी पड़ी तो कार की किस्त और पार्किंग शुल्क एक बराबर हो जाएंगे।
यह भी जानकारी मिली है कि इस समिति ने दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की अध्यक्षता वाली उच्च निगरानी समिति को यह रिपोर्ट सौंप दी गई है। इस समिति को पार्किंग स्थल नियम के लिए अधिकृत किया है।
- एक करोड़ से अधिक वाहनों में स्कूटर, मोटरसाइकिल सहित 70 लाख से अधिक दोपहिया वाहन भी हैं
- दिल्ली में प्रति हजार व्यक्तियों पर वाहनों की संख्या 598 है
- कार और जीप की संख्या 32,46,637 तथा ऑटोरिक्शा की संख्या 1,13,074 है।
इन इलाकों में हो सकती है महंगी पार्किंग
- कनॉट प्लेस
- सरोजनी नगर
- लाजपत नगर
- आइएनए मार्केट
- कमला नगर
- लोधी रोड
- खान मार्केट
- चांदनी चौक
- ग्रेटर कैलाश
यह हो सकती है नई पार्किंग नीति
- कार समेत अन्य चार पहिया वाहनों के लिए 10 रुपये प्रति घंटा
- दुपहिया वाहनों के लिए 5 रुपये प्रति घंटा
- 60 रुपये एक घंटे की पार्किंग के लिए देने पड़ सकते हैं
- पीक ऑवर में सुबह 9-11 और शाम 5-8 के बीच पार्किंग के लिए दुगुनी रकद चुकानी पड़ सकती है।
हर रोज दिल्ली में 500 नई कारें
यहां पर बता दें कि एक आकड़ा बताता है कि दिल्ली में कार खरीदारों की संख्या ठीक-ठीक है। बताया जाता है कि दिल्ली में तकरीबन रोजाना 500 कारों की खरीद होती है, जबकि पार्किंग सीमा सीमित है। जाहिर है आने वाले समय में पार्किंग के साथ सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ बढ़ती नजर आएगी।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पूरे समय रहती है, लेकिन अक्टबूर से मार्च महीने तक वायु प्रदूषण की समस्या दिल्ली में विकराल हो जाती है। इसके पीछे यूपी, हरियाणा और पंजाब में पराली का जलना है, लेकिन दिल्ली के प्रदूषण में चार पहिया और दुपहिया वाहनों का योगदान भी कम नहीं है। आकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले कारकों में दुपहिया वाहन हैं, जिसमें मोटरसाइकिल है।