बंकर, पहाड़ और इमारत में छिपे आतंकियों की खबर अब इंसेक्ट कॉप्टर ड्रोन लेंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) के सहयोग से इसका प्रोटोटाइप तैयार किया है। यह किसी भी स्थिति में उड़ान भरकर दुश्मन पर नजर रखने में सक्षम है। आइआइटी में डिफेंस टेक्नोलॉजी पर आयोजित सेमिनार में ड्रोन का प्रदर्शन किया गया।
दुश्मन को नजर नहीं आएगा
इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि आकार बेहद छोटा होने की वजह से यह दुश्मन को नजर नहीं आएगा। 40 ग्राम वजनी इस ड्रोन में कई पैर लगाए गए हैं जो दीवार, पेड़ या खुरदरी सतह पर आसानी से चिपकने में मदद करेंगे और दुश्मन की गतिविधियों को कैद कर रिमोट सेंसिंग तकनीक से कंट्रोल रूम तक भेजेंगे।
तैयार हो रहा सर्विलांस सिस्टम
आइआइटी के डिप्टी डायरेक्टर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि आइआइटी कानपुर कई संस्थाओं के साथ काम कर रहा है। भविष्य के लिए सर्विलांस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। पेट्रोलिंग के लिए खास तरह के रोबोट्स बनाए जा रहे हैं। इस दौरान स्टील्थ लड़ाकू विमान, आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, रोबोट्स, एयर मिसाइल की अपग्रेड तकनीक पर भी मंथन किया गया।
एयरक्राफ्ट, टैंक, सैनिक हो जाएंगे अदृश्य
फिजिक्स के प्रो. एस अनंत रामकृष्णा ने स्टील्थ एयरक्राफ्ट और टैंक पर चल रहे शोध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूएसए के एफ-22 रैप्टर और चीन के जे-22 एयरक्रॉफ्ट में स्टील्थ (अदृश्य) टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जा रही है। आइआइटी कानपुर ने मैटामेटेरियल्स (खास तरह का पदार्थ) की सहायता से इस तकनीकी को विकसित किया है। सेना इसका ट्रायल कर रही है। इसके अलावा सैनिकों के लिए खास तरह की वर्दी बनाई गई है।
200 किलोग्राम वजन उठाकर चल सकेंगे सैनिक
मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग के प्रो. आशीष दत्ता ने खास तरह के रोबोटिक सूट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सूट की मदद से सैनिक 200 किलोग्राम तक का भार आसानी से ले जा सकेंगे।
रडार का जाल बिछाने की नई तकनीक
बीईएल के सलाहकार एयर वाइस मार्शल प्रणय सिन्हा ने बताया कि रडार, सेंसर और सी-41 सिस्टम पर शोध चल रहा है। रडार का जाल बिछाने की तकनीक विकसित कर ली गई है। इसे टैंक, हवाई जहाज और पानी के जहाज में इस्तेमाल किया जा सकता है।