भारतीय संस्कृति में खान-पान को विशेष महत्व दिया गया है। हमारे यहां भोजन को अन्न देवता जैसा सम्मान दिया जाता है। शोधकर्ताओं ने अब इसका वैज्ञानिक आधार खोज निकाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय भोजनों मे ऐसे कई गुण छिपे हैं, जो अनुवांशिक बीमारियों को भी मात दे सकते हैं। शोध में पश्चिमी देशों के प्रचलित फास्ड फूड से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।
जर्मनी की ल्यूबेक यूनिवर्सिटी में हुए शोध में पता चला है कि दाल-चावल जैसे साधारण भारतीय भोजन गुणों का भंडार हैं। इन भारतीय भोजनों में कई बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। इतना ही नहीं, ये भारतीय भोजन अनुवांशिक बीमारियों से लड़ने में बहुत कारगर हैं। गंभीर बीमारियों पर पड़ने वाले भारतीय भोजनों के असर को लेकर किया गया इस तरह का ये पहला शोध है।
भारतीय भोजन और पश्चिमी भोजनों पर दो साल तक किए गए शोध में पता चला है कि फास्ड फूड के उच्च कैलोरी आहार अनुवांशिक बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। इसके विपरीत भारतीय भोजन में कैलोरी बहुत कम होती है (लो कैलोरी), जो रोगों से लड़ने में अहम भूमिका अदा करते हैं। नेचर मैग्जीन में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि अभी तक तमाम अनुवांशिक रोगों के पीछे केवल डीएनए को ही जिम्मेदार माना जाता था, जो हमें हमारे पूर्वजों और माता-पिता से मिलता है। इस शोध में इन बीमारियों को उन भोजन पर केंद्रित किया गया, जो रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होते हैं।