प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी से रिहाई के बाद अब पीडीपी को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की रिहाई का बेसब्री से इंतजार है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद नजरबंद किए गए नेताओं को जल्द रिहा करने के संकेत दिए हैं।
ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की भी जल्द रिहाई संभव है। प्रदेश में अपनी पार्टी नाम से नई सियासी पार्टी के गठन के बाद से यहां पर सियासी परिदृश्य में भी बदलाव आ चुका है।
कश्मीर केंद्रित पार्टियों में अन्य पार्टियों की तुलना में अपनी पार्टी ज्यादा सक्रिय हो चुकी है। पीडीपी के नेता पांच अगस्त 2019 को महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किए जाने के बाद से वेट एंड वॉच की रणनीति पर ही चल रहे हैं।
हालांकि इस अवधि के दौरान पार्टी काफी कमजोर हो चुकी हैं और अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी सहित कई अन्य नेता भी पीडीपी छोड़ कर ही नए संगठन की स्थापना कर चुके हैं।
वर्तमान में पीडीपी के बड़े चेहरे मुज्जफर हुसैन बेग भी बीच बीच में बगावती स्वर उठा चुके हैं लेकिन पिछले काफी अर्से से शांत चल रहे हैं। पार्टी नेताओं की माने तो पीडीपी के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ी हैं। पार्टी के महासचिव रहे वेद महाजन के अनुसार पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की रिहाई का पार्टी को बेसब्री से इंतजार हैं।
नजरबंदी के दौरान डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की फोटो तो सोशल मीडिया में वायरल हुई लेकिन महबूबा मुफ्ती की कोई झलक नहीं दिखी। न ही पार्टी नेताओं को महबूबा से मिलने दिया गया हैं।