राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों पर शिकंजा और कसता जा रहा है. फर्टिलाइजर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आज कई जगहों पर छापेमारी कर रही है. ईडी की छापेमारी सीएम गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के यहां भी जारी है.
बीते दिनों ही सीएम अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत का नाम फर्टिलाइजर घोटाले में आया था. आरोप है कि अग्रसेन गहलोत ने 2007 से 2009 के बीच किसानों के लिए ली गई उर्वरक को प्राइवेट कंपनियों को दिया गया. इस दौरान केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और राज्य में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे.
दरअसल, म्यूरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) निर्यात के लिए प्रतिबंधित है. एमओपी को भारतीय पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और किसानों को रियायती दरों पर वितरित किया जाता है. आरोप है कि 2007-2009 के बीच अग्रसेन गहलोत, (जो आईपीएल के लिए अधिकृत डीलर थे) ने रियायती दरों पर MoP खरीदा और किसानों को वितरित करने के बजाय उन्होंने इसे कुछ कंपनियों को बेच दिया. राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2012-13 में इसका खुलासा किया था.
भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगया था कि राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई की कंपनी ने कथित रूप से सब्सिडी वाले उर्वरक का निर्यात किया, जो घरेलू उपभोग के लिए था. बीजेपी ने कहा था कि अग्रसेन गहलोत की कंपनी ने देश के किसानों के लिए आयात किए जाने वाले उर्वरक, पोटाश के मूरेट का निर्यात किया था.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, ‘यह सब्सिडी की चोरी का एक स्पष्ट मामला है और यह सब 2007 से 2009 के बीच हुआ, जब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए केंद्र में सत्ता में थी. उस समय अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे. जिस तरह सस्ती दर पर उर्वरक का निर्यात किया गया था, संदेह उठाता है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला हो सकता है.’
हालांकि, अग्रसेन गहलोत ने उस वक्त सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. अब इस मामले की ईडी ने जांच शुरू कर दी है. राजस्थान के सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इससे पहले आयकर और ईडी ने गहलोत के करीबियों पर छापेमारी की थी.