पोषण कार्यक्रम के तहत एनीमिक किशोरियां की गई जागरूक

स्थानीय जनपद में किशोरियों पर केन्द्रित पोषण माह का शुभारम्भ किशोरी दिवस के साथ हुआ। इसको लेकर आंगनबाड़ी स्तर पर ऊपरी आहार पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया । इस दौरान क्षेत्र की एनमों द्वारा किशोरियों का वजन व उचाई मापी गई। साथ ही साथ उनको पोषक आहार के सम्बन्ध में भी जानकारी दी गई। किशोरियों के पोषण और एनीमिया स्तर को लेकर जागरुक किया गया तथा एनीमिया ग्रस्त किशोरियों का फालोअप करके उनको आयरन की गोलियों के साथ पोषक आहार भी प्रदान किया गया।

जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रकाश कुमार ने बताया कि किशोरियों पर केन्द्रित पोषण माह के दूसरे सप्‍ताह के पहले दिन को किशोरी दिवस के रुप में मनाया गया। इस दौरान किशोरियों की बीएमआई ( बाडी मास इंडेक्स अर्थात शारीरिक द्रव्यमान सूचकांक ) ली गई। साथ ही साथ उन्‍हें उनकी शारीरिक आवश्‍यकता के अनुसार पोषक आहार प्रदान किए गए।

जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आयोजित किए गए किशोरी दिवस के कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मातृ समितियों व एनमों ने किशोरियों को पोषण के सम्बंध में विविध जानकारियां दी। साथ ही उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई के पोषण विशेषज्ञ ईशा सांहग्वान के निर्देशन में जिले के विभिन्न ब्लाकों में तैनात पोषण सखियों ने पोषक आहार के सम्बन्ध में किशोरियों को जागरुक करने के साथ ही उनको विभिन्न जानकारियां दी । इस दौरान पोषण सखियों ने गृह भ्रमण के साथ ही साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों का अनुश्रवण भी किया। यही नहीं जुलाई में चिन्हित एनीमिया ग्रस्त किशोरियों का फालोअप भी किया गया।

क्या है बीएमआई

बीएमआई अर्थात बाडी मास इंडेक्स किसी भी व्यक्ति की लम्बाई तथा उसके भार को केन्‍द्र में रखकर निकाला जाता है। इसके आधार पर यह ज्ञात किया जाता है कि व्यक्ति के अन्दर कुपोष्‍ण, बौनापन या सूखापन कितना है। कुपोषण के विभिन्न स्तरों की जानकारी भी इसी के आधार पर ली जाती है।

जिले में 38 प्रतिशत से अधिक किशोरियों को एनीमिया*

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) पर नजर डालें तो बाराबंकी में 15 से 49 वर्ष की किशोरियां एवं महिलाओं में एनीमिया का प्रतिशत ग्रामीण स्तर पर 37.3 तथा कुल 38.2 प्रतिशत है। इससे निबटना एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसे ध्यान में रखते हुए ही पोषण प्लान बनाया जा रहा है। ताकि किशोरियों को एनीमिया से मुक्त किया जा सके। आयरन की गोलियां भी दी जा रही हैं, तथा ऐसी किशोरियों का फालोअप भी किया जा रहा है। उन्हें सही गुणवत्ता और निर्धारित आवृत्ति के हिसाब से भोजन की सलाह दी जाती है।

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