भारत में पेट्रोल-डीजल की आसमानी छूती कीमतों ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें डाल रखी हैं। पेट्रोल 80 रुपये प्रति लीटर की कीमत को पार कर गया है। ईंधन की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए ऑइल मिनिस्ट्री चाहती है कि पेट्रोल और डीजल पर से उत्पाद शुल्क घटाए जाएं। ऑइल मिनिस्ट्री के 2 अधिकारियों ने आगामी बजट में इस तरह की कोशिश की तैयारी की जानकारी दी है।
ऑइल मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम केवल उत्पाद शुल्क में कटौती का सुझाव दे सकते हैं। अब वित्त मंत्रालय पर है कि वह इसपर क्या फैसला लेता है। हालांकि आगामी बजट में उत्पाद शुल्क घटाना इतना आसान भी नहीं है। सरकार पहले से ही राजकोषीय घाटे से जूझ रही है। जुलाई के बाद जीएसटी प्रभावी होने की वजह से टैक्स रेवेन्यू भी गिरा है।
वित्तीय वर्ष 2016-17 में पेट्रोलियम सेक्टर ने सरकार के लिए 81 अरब डॉलर (52 खरब रुपये) का राजस्व जुटाया था। केद्र और राज्यों के कुल राजस्व का एक तिहाई हिस्सा पेट्रोलियम सेक्टर से ही आता है। वैश्विक तेल बाजार में गिरावट के बीच भारत ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान 9 बार उत्पाद शुल्क को बढ़ाया था। सरकार के वित्तपोषण को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया था। पिछले अक्टूबर में सरकार ने उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से कटौती की।