झारखंड की सत्ता के साथ ही मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद की सीट भी नहीं बचा सके। इसका दर्द दुर्ग तक एहसास किया गया। दुर्ग में रहने वाली रघुवर की बेटी नतीजों को देखने सुबह से ही टीवी से चिपकी रही। दोबारा सत्ता में लौटने की आस उस वक्त टूट गई, जब पापा को सियासी मैदान में पिछड़ते देखा। हार का झटका ऐसा कि अपने कमरे में जाकर खामोश बैठ गईं। मिलने वाले आते रहे, लेकिन कमरे से वह बाहर नहीं निकली।

सीएम रघुवर के दामाद समझाते रहे…। उदासी के माहौल में दामाद-बेटी के मुंह से निकला-पापा का स्पष्ट नेचर ही हार का कारण बन गया। कार्यकर्ता और सरयू राय के दुष्प्रचार ने आग में घी का काम किया, जिससे पापा चुनाव हार गए। बेटी रेणु साहू और दामाद यशपाल साहू ने बातचीत की।
कहा कि पापा बेहद ही स्पष्टवादी हैं। दरअसल जब मुख्यमंत्री बने, तभी से कुछ कार्यकर्ताओं की बिजनेस उम्मीद बढ़ गई थी। किसी को दारू, किसी को कोयला का ठेका तो किसी को कुछ और चाहिए था। पापा बेहद ईमानदार ठहरे, पार्टी और प्रदेश के लिए कर्मठ हैं।
वह किसी भी कार्यकर्ताओं को गलत और अनैतिक कार्य करने ही नहीं दिए। उन्होंने तल्ख लहजे में ऐसे कार्यकर्ताओं को सीधे मना ही कर दिया। इसी वजह से उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया जाने लगा। सरयू राय द्वारा कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने वाले प्रश्न पर दामाद ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बगैर कार्यकर्ताओं के कुछ भी संभव नहीं है। किंतु कुछ कार्यकर्ता और सरयू राय ही शुरू से दुष्प्रचार करते रहे।
बता दें कि रघुवर दास की एक बेटी और एक बेटा है। बेटी की शादी दुर्ग के यशपाल से हुई है। यशपाल एनएसपीसीएल (एनटीपीसी-सेल पॉवर कंपनी लिमिटेड) में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। यहां पद्मनाभपुर में अपने छोटे भाई और परिजनों के साथ रहते हैं।
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