पुष्‍कर मेला की रंगत कम होती जा रही ऊटों की संख्‍या में भी कमी आई: राजस्‍थान

राजस्‍थान का पुष्‍कर दो चीजों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इनमें से पहला है यहां स्थित ब्रहृमा जी का एकमात्र मंदिर। दूसरा, यहां पर लगने वाला ऊटों का मेला। यहां पर ये मेला वर्षों से लग रहा है। यहां पर इन ऊटों के खरीददारों के अलावा बड़ी संख्‍या में देशी-विदेशी सैलानी भी आते हैं।

पुष्‍कर का यह मेला हर किसी को आकर्षित करता रहा है। इसको स्‍थानीय लोग कार्तिक मेला या ऊंटों का मेला भी कहते हैं। इस मेले की गिनती दुनिया के बड़े पशु मेले में की जाती है। यहांं केवल ऊटों या अन्‍य पशुओं की खरीद-फरोख्‍त ही नहीं होती है बल्कि कई तरह की विभिन्‍न प्रतियोगिताएं भी होती हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं हिस्‍सा लेती हैं।

इस बार इस मेले की शुरुआत 4 नवंबर को हुई थी। यह मेला 12 नवंबर तक चलेगा। लेकिन इस बार इस मेले की रंगत में कुछ कमी आई है। दरअसल, इस बार यहां पर आने वाले ऊटों की संख्‍या में कमी आई है। आंकड़े बताते हैं कि 1951 से लेकर 1977 तक लगातार यहां पर ऊटों की संख्‍या बढ़ी थी, लेकिन, इसके बाद से अब तक इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

इसका सीधा असर यहां पर आने सैलानियों की संख्‍या पर भी पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह राजस्‍थान में लगातार गिर रही ऊटों की संख्‍या है। आपको बता दें कि राजस्‍थान के लोगों के लिए ऊंंट के बड़े मायने हैं। लेकिन, वक्‍त के साथ अब इनकी जनसंख्‍या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

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