रोजाना पूरी दुनिया में 15 से 49 साल की 80 करोड़ महिलाएं पीरियड्स में होती है। इसके अलावा इस बारे में चर्चा करना भी एक शर्म का विषय हो जाता है तो इस बारे में बातें भी दबी जुबान ही होती है। डब्लयू डी के मुताबिक भारत में 10 फीसदी और ईरान में 50 फीसदी लड़कियां इसे एक बीमारी की तरह देखती हैं।

लगभग सवा अरब लड़कियों को शौचालय की सुविधा ही उपलब्ध नहीं होती जिस वजस से कई लड़कियों का स्कूल तक छूट जाता है क्योंकि इस दौरान वो स्कूल नहीं जा पाती। सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि महिलाएं खुद इसका नाम लेकर बात नहीं करती।
इसके लिए कई तरह के सांकेतिक नामों का प्रयोग होता है। जैसे भारत में भी इसे लड़कियां बताने के लिए कई सारे मजाकिया नामों जैसे एमसी, डाउन होना, डेट आना, बॉस कॉलिग, चम्प्स आदि जानती और बताती है।
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