पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है। हिंदू और ईसाई लड़कियों को लक्षित कर निशाना बनाया जा रहा है। पाकिस्तान के शीर्ष मानवाधिकार निकाय ने कहा कि पिछले साल हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन मतांतरण और कम उम्र में विवाह के मामलों में तेजी आई है।
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने जारी की रिपोर्ट
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट ‘स्ट्रीट्स आफ फियर: फ्रीडम ऑफ रिलीजन आर बिलीफ इन 2024/25’ में इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए बेहद परेशान करने वाला साल बताया गया है।
अल्पसंख्यक सदस्यों की भीड़ द्वारा हत्या की जा रही है- रिपोर्ट
आयोग ने कहा कि ईशनिंदा के आरोपित, खासकर अल्पसंख्यक सदस्यों की भीड़ द्वारा हत्या का चलन भी बढ़ा है। ईशनिंदा के आरोपित दो व्यक्तियों को पुलिस ने उस समय न्यायेतर तरीके से मार डाला जब वे उग्र भीड़ से सुरक्षा की मांग कर रहे थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसी घटनाएं कानून प्रवर्तन और जवाबदेही तंत्र में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
नफरत भरे भाषणों में वृद्धि
रिपोर्ट में नफरत भरे भाषणों में वृद्धि की ओर भी इशारा किया गया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ धमकियों से लेकर निर्वाचित प्रतिनिधियों की सार्वजनिक रूप से निंदा तक शामिल है। ऐसा चरमपंथी तत्वों के बढ़ते हौसले के कारण हो रहा है। बार एसोसिएशनों का धार्मिक अतिवादी समूहों के साथ गठबंधन की ओर झुकाव चौंकाने वाला है।
बाल यौन शोषण के 200 मामले सामने आए
गृह मंत्रालय पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने सीनेट को सूचित किया है कि 2021 से जून 2025 के बीच इस्लामाबाद में दर्ज यौन शोषण के 567 मामलों में से 200 मामले बच्चों से जुड़े थे। बाल यौन शोषण के दर्ज किए गए 200 मामलों में से 93 पीडि़त लड़के और 108 लड़कियां थीं।
222 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया
मंत्रालय ने बताया कि 222 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से केवल 12 को दोषी ठहराया गया। 163 पर अब भी मुकदमा चल रहा है, जबकि 15 को बरी कर दिया गया है और 26 अब भी फरार हैं।
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