मालदीव की संसद (मजलिस) में कश्मीर का मुद्दा उठाने पर रविवार को पाकिस्तान को भारत ने जमकर लताड़ लगाई थी. इसमें मालदीव भी भारत के साथ खड़ा नजर आया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की हरकत दुर्भाग्यपूर्ण थी.

उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से फोरम के एजेंडे पर टिके रहने को कहा. माले में बातचीत में नशीद ने कहा, ‘कार्यवाही शुरू होने से पहले मैंने सभी को बताया था कि स्पीकर्स को एजेंडे के दायरे में रहना होगा. दुर्भाग्यवश, पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया. भारत इस पर अपनी राय देना चाहता था. लिहाजा उसे इजाजत दी गई और उसने अपना स्टैंड साफ किया.’
नशीद ने फिर कहा कि कश्मीर का पूरा संदर्भ मालदीव की संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है. भारतीय प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई, जिसने उसका ‘आंतरिक’ मामला इस मंच पर उठाया. जब उनसे कश्मीर की स्थिति और राजनेताओं को हिरासत में लेने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह मामला आंतरिक था और कश्मीर पर मालदीव का रुख 1947 जितना ही पुराना है. हमारा हमेशा मानना है यह भारत का आंतरिक मसला है.
भारत और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल मालदीव के ‘चौथे साउथ एशियन स्पीकर्स’ समिट में शामिल हुए, जहां एजेंडा सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2030 था. सोमवार को अपनाई गई माले घोषणा में कश्मीर का कोई जिक्र नहीं था. पाकिस्तानी संसदीय प्रतिनिधिमंडल के दावे को खारिज करते हुए फोरम ने चार अहम पहलुओं पर जोर दिया और प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया.
नशीद ने कहा, हमने तीन अहम मुद्दों पर बहस की क्योंकि हमारे देश में एसडीजी लागू होते हैं. ये हैं- काम पर समानता को बढ़ावा देना, समान वेतन और युवा लोगों के लिए रोजगार पैदा करना, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मां और बच्चे के लिए पोषण और खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक एजेंडा को उत्प्रेरित करना.
‘सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति’ विषय पर दक्षिण एशियाई देशों की संसदों के अध्यक्षों के चौथे शिखर सम्मेलन का आयोजन मालदीव में हुआ. भारत की ओर से राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला मौजूद रहे. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव और राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा भी शामिल हैं.
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