परंपरा टूटी : कोरोना के कारण 72वे गणतंत्र दिवस समारोह में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे

मंगलवार को देश 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। भारत में हर साल लोकतंत्र के इस महापर्व को बड़े ही धूम धाम और भव्य तरीके से मनाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण गणतंत्र दिवस समारोह में इसमें काफी बदलाव देखने को मिलेंगे।

कोरोना वायरस के कारण इस साल के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में किसी विदेशी राष्ट्र प्रमुख या सरकार के मुखिया को आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले भारत में 1952, 1953 और 1966 में भी गणतंत्र दिवस परेड के लिए मुख्य अतिथि नहीं थे।

शुरुआती दिनों के दौरान भारत में भव्य गणतंत्र दिवस परेड के लिए एक निश्चित स्थान नहीं था। गणतंत्र परेड लाल किले, रामलीला मैदान, किंग्सवे और इरविन स्टेडियम जैसे विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाती थी। लेकिन 1955 में परेड स्थल तय किया गया और इसे राजपथ पर आयोजित किया जाने लगा।

जो परंपरा भारत में वर्षों से जारी है वह गणतंत्र दिवस परेड के लिए मुख्य अतिथि की उपस्थिति रही है। भारत ने अभी तक कई पड़ोसी देशों और राष्ट्रों से राजनीतिक नेताओं को परेड के लिए आमंत्रित किया है।  यहां तक कि दो बार पाकिस्तान से भी मुख्य अतिथि आ चुके हैं।

1955 में भारत की पहली गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मौहम्मद थे। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, पाकिस्तान अक्सर भारतीय गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि रहा है। मलिक गुलाम मौहम्मद राजपथ पर पहले अतिथि थे।

भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच मार्शल ये जियानयिंग को 1958 में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इस आमंत्रण के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू दोनों देशों के बीच शांति की उम्मीद कर रहे थे।

1959 में एक बार फिर कोई अतिथि नहीं होने के बाद, 1960 में रूस की तरफ से मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्ष क्लिमेंट वोरोशिलोव को गणतंत्र दिवस की 10 वीं वर्षगांठ पर आमंत्रित किया गया था।

स्वतंत्रता के बाद भारत ने ब्रिटेन को कभी भी परेड के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। बाद में 1961 में गणतंत्र दिवस परेड के लिए महारानी एलिजाबेथ को आमंत्रित किया गया था।

1962 में भारत-पाक युद्ध की वजह से भारत का कोई मुख्य अतिथि नहीं था। लेकिन 1963 में भारत ने पहली बार कंबोडिया को आमंत्रित किया और राजा नोरोडोम सिहानोक मुख्य अतिथि थे।

भारत-पाक के बीच युद्ध से कुछ दिन पहले 1965 में पाकिस्तान को एक बार फिर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस बार पाकिस्तान के खाद्य और कृषि मंत्री राणा अब्दुल हमीद मुख्य अतिथि थे। 

भारत ने गणतंत्र दिवस परेड के लिए 1968 में एक साथ दो दोशों को आमंत्रित किया। भारत ने सोवियत संघ के अध्यक्ष अलेक्सेई कोश्यगिन और यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो को आमंत्रित किया।

यह पहली बार था जब बाल्कन देश को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। जबकि ऐसे भी कई देश हैं जिन्हें कई बार आमंत्रित किया गया, लेकिन बुल्गारिया 1969 में पहली और आखिरी बार भारत की परेड में शामिल हुआ। बुल्गारिया के प्रधानमंत्री टॉड झिवकोव मुख्य अतिथि बने।

1970 में किसी भी देश को आमंत्रित नहीं करने के बाद, तंजानिया को 1971 में भारत में गणतंत्र दिवस परेड में 9वें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। बुल्गारिया की तरह तंजानिया को भी सिर्फ एक बार आमंत्रित किया गया। तंजानिया के राष्ट्रपति जूलियस न्येरे मुख्य अतिथि थे। 

1972 में पहली बार मॉरीशस को भारत में गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित किया गया था। 1972 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री सीवूसागुर रामगुलाम भारत में मुख्य अतिथि के रूप में आए। इसके अलावा 1990 और 2002 में दो बार और मॉरीशस को आमंत्रित किया गया।

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