पत्नी की मौत ने बदली जिंदगी, इस शख्स ने अपने बेटे के आर्गन्स को डोनेट करने की इच्छा जाहिर, पढ़ें मार्मिक स्टोरी

पत्नी की मौत ने बदली जिंदगी, इस शख्स ने अपने बेटे के आर्गन्स को डोनेट करने की इच्छा जाहिर, पढ़ें मार्मिक स्टोरी

कई बार बड़ा हादसा हमें ऐसे सबक सिखा जाता है, जो हमें न सिर्फ जीवन भर हमारे लिए प्रेरणा बन जाते हैं, बल्कि हमें लोगों के लिए कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित कर जाते हैं. कुछ ऐसा ही राजस्थान के कोटा में हुआ है. जहां पर अपनी पत्नी की मौत से सबक लेते हुए एक शख्स ने अपने बेटे के आर्गन्स को डोनेट करने की इच्छा जाहिर की है. पत्नी की मौत ने बदली जिंदगी, इस शख्स ने अपने बेटे के आर्गन्स को डोनेट करने की इच्छा जाहिर, पढ़ें मार्मिक स्टोरी

कागजी प्रक्रिया के बाद जयपुर जाएगा शरीर
दरअसल, कोटा के दादाबाड़ी निवासी युवक विशाल कपूर को डॉक्टर ने ब्रेन डेड घोषित किया है. परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन से सम्पर्क साधा है. कॉलेज की ब्रेन डेड कमेटी ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए देर रात कमेटी के सदस्य को निजी अस्पताल भेजा. जांच व कागजी प्रक्रिया के बाद विशाल को जयपुर ले जाने के बारे में निर्णय होगा. 

जयपुर जाने के बाद ही विशाल का लीवर, किडनी और हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया हो पाएगी. 19 वर्षीय विशाल कपूर बीसीए प्रथम वर्ष का छात्र था. विशाल 16 मार्च को अपने दोस्त के साथ बाइक पर जाते समय हैंगिंग ब्रिज के पास एक्सीडेंट में घायल हुआ था. उसे तुरंत इलाज के लिए निजी अस्पताल लाया गया. सिर में गंभीर चोट लगने से चिकित्सको ने विशाल को आईसीयू में भर्ती किया. सोमवार रात को चिकित्सकों की टीम ने सिद्धार्थ को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. विशाल को अभी वेंटिलेटर पर रख गया है. विशाल के ब्रेन डेड घोषित करने के बाद परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई ताकि विशाल जरूरमंद को जीवन दे सके.

पत्नी की मौत ने किया जागरूक
विशाल के पिता नरेश कपूर ने बताया कि 6 साल पहले किडनी नहीं मिलने के कारण विशाल की मां की मौत हो गई थी. ऑर्गन डोनेशन से 7-8 लोगों को नया जीवनदान मिल सकता है. विशाल का शरीर निष्क्रिय है वेंटिलेटर के सहारे जीवित है. उसके ऑर्गन डोनेशन से कुछ लोगों को जीवन मिल सकता है. इसलिए प्रशासन से सम्पर्क किया है. विशाल इस दुनिया में नहीं रहे पर लोगों की दुआएं मिली तो उनके अंगदान से कुछ लोगों को जीवन मिल सकता है विशाल किसी न किसी रुप में हमारे सामने रहेगा. 

कोटा मेडिकल कॉलेज में है संसाधनों का अभाव
कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. यहां ब्रेन डेड कमेटी तो बनी हुई है लेकिन संसाधनों का अभाव है. कागजी कार्रवाई व जांचो के फेर के कारण ब्रेन डेड मरीज को जयपुर शिफ्ट करना पड़ता है. कुछ माह पहले भी बारां जिले के जलवाड़ा निवासी सिद्धार्थ सिंह को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद जयपुर ले जाया गया था. प्रक्रिया में समय अधिक लगने के कारण सिद्धार्थ के इंफेक्शन फेल गया था जिस कारण सिंद्धार्थ के ऑर्गन डोनेशन नहीं हो पाए थे. विशाल के केस में भी ऐसा ही होता नजर आ रहा है. किसी भी अस्पताल को अंगदान अभियान से जुडऩे के लिए नॉन ट्रांसप्लांट आर्गेन रिट्रीबल सेंटर से रजिस्टर्ड होना जरूरी होता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज व शहर के निजी अस्पताल का अभी तक पंजीयन नहीं हुआ है. ऐसे में संसाधनों का अभाव व कागजी प्रक्रिया के चलते मामला अटक भी सकता है. वैसे मेडिकल कोलेज कोटा अलर्ट मोड़ पर है. अगर परमिशन मिली तो जयपुर की टीम कोटा आकर प्रक्रिया पूरी कर सकती है नही तो विशाल को वेंटिलेटर पर एम्बुलेंस के जरिये जयपुर ले जाने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है जहाँ लीवर, किडनी और हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया होगी.

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