पाकिस्तान सरकार और भारत में खालिस्तान की मांग करने वाले सिख संगठन के बीच स्पष्ट संबंध हैं। खालिस्तान समर्थक सिख संगठन ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उनकी मदद मांगी है।
अमेरिका के सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पानुन ने कुरैशी को लिखे पत्र में कहा- हम आपसे गुरुनानक देवी के 550वें प्रकाशोत्सव में सिखों के लिए एक लाख वीजा जारी करने का आग्रह कर रहे हैं। दुनियाभर में फैले सिख समुदाय के समर्थन से SFJ पंजाब से पाकिस्तान जाने वाले एक लाख लोगों की यात्रा, उनके पाकिस्तान में रहने और खाने का खर्च उठाएगा।
पश्चिम में रहने वाले खालिस्तान समर्थक सिख पाकिस्तान में सिख धर्मयात्रियों की मुफ्त में यात्रा का लोभ देकर धार्मिक भावनाओं को भुनाना चाहते हैं। SFJ के पास सभी एक लाख सिखों के खर्च का भुगतान करने के साधन हैं। बताते चलें कि साल 2019 में सिखों के पहले धर्मगुरू गुरुनानक देव का 550वां जन्मोत्सव है। दुनियाभर में फैले सिख पाकिस्तान में होने वाले इस समारोह में शामिल होना चाहते हैं। गुरुनानक देव का वहीं जन्म हुआ था और उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी वहीं ली थी।
सुरक्षा एजेंसियां हैं सतर्क
SFJ अपने खालिस्तान समर्थक एजेंडा के जरिये पाकिस्तान के भारत विरोधी प्रपोगेंडा पर काम कर रहा है। यह संगठन खुद को मानवाधिकार की वकालत करना वाला बताता है और यह पंजाब के लिए लगातार ‘रेफरेंडम 2020’ अभियान चला रहा है। अगस्त में रेफरेंडम 2020 के समर्थन में लंदन में निकाली गई रैली के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने SFJ पर नजर रखनी शुरू कर दी है।
भारत सरकार ने लंदन में भारत विरोधी रैली निकालने के लिए SFJ को इजाजत देने के लिए ब्रिटिश सरकार का कड़ा विरोध किया है। गुरपतवंत सिंह पानुन ने अपने पत्र को ट्वीट कर जानबूझकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर का मुद्दा उछाला है। उन्होंने लिखा है- हम गुरुनानक देव सिंह के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर पंजाब के सिखों को करतारपुर साहिब कॉरिडोर गुरुद्वारा के लिए प्रस्तावित पहुंच देने के लिए पाकिस्तान सरकार की पहल का स्वागत करते हैं।
पाकिस्तान की चाल है यह
बताते चलें कि भारत ने पाकिस्तान की सीमा से लगे 461 किलोमीटर के इलाके में सीमा-पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों को रोकने और भारत-विरोधी कार्रवाई को रोकने के लिए बाड़ लगा रखी है। हालांकि, पाकिस्तान चाहता है कि भारतीय सीमा में उसकी पहुंच हो और इसके लिए वह करतारपुर साहिब तक पहुंच देने के लिए राजी है। दरअसल, इसके जरिये पाकिस्तान को घुसपैठ करने का मौका मिल सकता है।
कौन हैं गुरपतवंत सिंह पानुन
गुरपतवंत सिंह पानुन न्यूयॉर्क के वकील हैं। वह सिख चरमपंथी जैसे खालिस्तान टाइगर फोर्स के जगतार सिंह तारा और लंदन के परमजीत सिंह पम्मा के करीबी रहे हैं। हालांकि, लंदन में रेफरेंडम 2020 अभियान पूरी तरह से सफल नहीं हो सका। पानुन की भाषा (पाकिस्तानी पंजाबी) से वहां मौजूद लोग भ्रमित हुए। पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश लॉर्ड नजीर अहमद इस कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर मौजूद थे। अहमद खुद को कश्मीरी और सिखों का हमदर्द कहते हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम में भारत और पंजाब के विभाजन की बात कही। उनका खुले तौर पर इस कार्यक्रम में भाग लेना जाहिर करता है कि पाकिस्तान रेफरेंडम 2020 को सीधे तौर पर वित्तीय और साजो-सामान की मदद दे रहा है।
अलगाववादियों ने भी किया रेफरेंडम 2020 का विरोध
लंदन के सिख अलगाववादी दल खालसा के चीफ जसवंत सिंह ठेकेदार ने आरोप लगाया कि पानुन पाकिस्तान के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं। उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन वाले इस प्रपोगेंडा की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी गैर-धार्मिक सिख नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। पानुन ने इस कार्यक्रम के लिए दो साल प्रचार-प्रसार किया और बड़े पैमाने पर धन खर्च किया। उन्होंने कहा कि नजीर जैसे लोग कहते हैं कि वे खालिस्तान और कश्मीर के मुद्दे का समर्थन करते हैं। खालिस्तान के बारे में बात करने का अधिकार उन्हें किसने दिया। उन्होंने खालिस्तान के मुद्दे पर लोगों को भ्रमित किया है।
उन्होने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए टीवी और रेडियो स्टेशन को किराये पर लिया। हमें यकीन है कि इसके लिए पूरा पैसा पाकिस्तान ने खर्च किया। ये सिख लोग पाकिस्तान की सरपरस्ती का मजा ले रहे हैं और लिहाजा हम उनके अभियान का समर्थन नहीं करते हैं। जसवंत सिंह ने कहा कि रेफरेंडम 2020 पूरी तरह से गैर-कानूनी है और इसके लिए वोटिंग की कोई प्रासंगिकता नहीं है। बड़े पैमाने पर ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय त्रफालगर स्क्वायर पर जमा हुए और उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन वाले रेफरेंडम 2020 आयोजन को काउंटर करने के लिए देशभक्ति के गाने गाए। अपनी मौजूदगी के जरिये उन्होंने दुनिया को संयुक्त भारत का संदेश दिया।