पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बाढ़ के संदर्भ में की जा रही गिरदावरी के दौरान जिस जमीन पर जो काश्तकार खेती कर रहा है वही मुआवजे का हकदार है। इस बार मुआवजा रजिस्ट्री देखकर नहीं बल्कि खेती कौन कर रहा है, यह देखकर दिया जाएगा। हम पहले वाला सिस्टम पूरी तरह बदल रहे हैं। जो ईमानदारी बरतते हैं वे जमीन मालिक तो काश्तकार को आपदा के समय में मिलने वाला मुआवजा दे देते हैं पर कुछ ऐसा नहीं करते। ऐसे में काश्तकार को भारी नुकसान हो जाता है। इसमें पटवारी भी खेल किया करते थे पर अब सरकार ऐसा नहीं होने देगी।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि जीएसटी को बड़े जोर-शोर से लाया गया था अब उसी तेजी से वापस क्यों लिया गया है। जीएसटी पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले केंद्र को राज्यों का बकाया हिस्सा लौटाना चाहिए। भाजपा नेताओं को बाढ़ के मुद्दे पर राजनीति करने से बचने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ को कोई भी बयान जारी करने से पहले अपना होमवर्क करने की सलाह दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता द्वारा नकारे गए नेता अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए उनके खिलाफ जहर उगलते हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं द्वारा हाईकमान के इशारों पर ही ये बयान जारी किए गए हैं। मान ने कहा कि लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए संगरूर में एक मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा जिसके लिए राज्य सरकार कुछ और भूमि की पहचान करेगी।
कॉलेज के निर्माण के लिए जमीन देने से इनकार करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी केवल बादल परिवार के हाथों की कठपुतली है। इसके सभी फैसले वही करते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यदि बादल परिवार कॉलेज बनाना चाहता तो शिरोमणि कमेटी जरूर जमीन देती। सीएम ने दोहराया कि राज्य में किसी भी राशन कार्ड को नहीं काटा जाएगा। उन्होंने हाल में आई बाढ़ के मद्देनजर इन कार्डों की पुष्टि करने के लिए केंद्र सरकार से छह महीनों का समय मांगा है।