जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पद से बुधवार देर शाम को त्यागपत्र दे दिया था। जत्थेदार ने इसके लिए पूर्व अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा को जिम्मेदार ठहराया था।
तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के त्यागपत्र को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अस्वीकार कर दिया है। एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने यह जानकारी दी।
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पद से बुधवार देर शाम को त्यागपत्र दे दिया था। जत्थेदार ने इसके लिए पूर्व अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा को जिम्मेदार ठहराया था।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपना त्याग पत्र एसजीपीसी को भेज दिया था। जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने सोशल मीडिया पर डाले वीडियो में केंद्र व पंजाब सरकार से भी उन्हें प्रदान की गई जेड सुरक्षा वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अब उनके पास कोई पद न होने के चलते उन्हें इस सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है। वह तो अपने छोटे से घर में रहने के इच्छुक हैं।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने वल्टोहा द्वारा दी जा रही धमकियों को लेकर एसजीपीसी की चुप्पी पर भी रोष जताया है। उन्होंने खुलासा किया कि सिंह साहिबानों के आदेशों के बाद भी अकाली दल का सोशल मीडिया विंग वल्टोहा की ओर से दिए गए बयानों को अब भी जारी कर रहा है।
जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने सोशल मीडिया पर डाले पोस्ट में कहा है कि वल्टोहा द्वारा उन पर एसजीपीसी व आरएसएस का समर्थक होने के झूठे आरोप लगाए हैं। वल्टोहा द्वारा उन्हें बार- बार निशाना बनाया जा रहा है। उसने निजता की सभी हदें पार कर दी हैं। वल्टोहा द्वारा अभी भी अप्रयत्क्ष तौर से उन्हें धमकियों भरे संदेश भेजे जा रहे हैं, यह सब अब उनके बर्दाश्त से बाहर है।
ऐसे हालात में वह जत्थेदारी की सेवाएं निभाने में असमर्थ हैं, क्योंकि वह एक जत्थेदार होने के साथ-साथ बेटियों के पिता भी हैं। वल्होटा उनकी जाति पात परख रहा है और इस पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। जत्थेदार ने कहा कि उनके घर पर गंदे संदेश भेजे जा रहे हैं यह सब अब बर्दाश्त के बाहर है।
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