पंजाब सरकार की खनन नीति के तहत हरियाणा और हिमाचल से खनन सामग्री लेकर आने वाले वाहनों से रॉयल्टी व पेनल्टी वसूली पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही स्टोन क्रशर मालिकों की याचिका पर पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए बाबा जोरावर और अन्य स्टोन क्रशर मालिकों ने पंजाब सरकार की खनन नीति को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब के बाहर से खनन सामग्री लाने वाले वाहनों से प्रति क्यूबिक फीट 7 रुपये वसूल किए जाते हैं। इसके बाद संबंधित राज्यों से इन वाहनों से आए माल के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है और सारा रिकॉर्ड सही पाए जाने पर एक महीने बाद पैसा वापस कर दिया जाता है।
याचिका में बताया गया है कि इस नीति के चलते उनका पैसा जो व्यापार में लगना चाहिए वह एक महीने के लिए फंस जाता है। इसके साथ ही पंजाब सरकार ने प्रति क्यूबिक फीट पर 1 रुपये पर्यावरण प्रबंधन शुल्क भी लगाया है। याची ने कहा कि जब बाहरी राज्यों से सामग्री लाई गई है और पंजाब में खनन नहीं किया गया तो कैसे यह वसूली की जा सकती है।
याचिका में बताया गया कि हरियाणा और हिमाचल में खनन के बाद वहां पर उचित कर और जीएसटी का भुगतान करने के बाद खनन सामग्री पंजाब में क्रशर जोन में लाई जाती है। ऐसे में इस प्रकार के अतिरिक्त भुगतान को सही नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही पंजाब सरकार ने खनन सामग्री की बिक्री को लेकर सीमा तय कर दी है जिसका उनको कोई अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही अगली सुनवाई तक उचित दस्तावेज पेश करने वाले वाहनों से रॉयल्टी व पेनल्टी वसूली करने पर रोक लगा दी है।