रावी और ब्यास नदियों के पानी के प्रभावी आवंटन के लिए सतलज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर की परियोजना बनाई गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई है। इसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना है। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में नहर का निर्माण कर लिया है।
सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के लिए किसी भी केंद्रीय टीम को पंजाब में जमीन के सर्वेक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार टीमों का कड़ा विरोध करेगी। यह पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहीं। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या पंजाब सरकार को सर्वेक्षण करने के लिए संभावित केंद्रीय टीम के दौरे के बारे में कोई सूचना मिली है तो उन्होंने कहा कि हमें इस संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है।
चीमा के साथ मौजूद मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि एक नवंबर को जिस दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना में पंजाब के मुद्दों पर बहस रखी है, उस दिन टीम आ रही है। उन्होंने कहा कि संभव है कि अकाली नेता दिल्ली जाकर उन्हें यह कह दें कि वे सर्वे के लिए चले जाएं लेकिन अगर टीम आई तो उन्हें आने नहीं दिया जाएगा।
याद रहे कि रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए सतलज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर की परिकल्पना की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई है। इसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना है।
हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है। जबकि काफी समय से इस मुददे पर विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गत चार अक्तूबर को केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे जो राज्य में एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था और किए गए निर्माण की सीमा का अनुमान लगाए।
दूसरी तरफ पंजाब विधानसभा के 20 अक्तूबर को बुलाए जा रहे सत्र पर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्यपाल को अपना कानूनी सलाहकार बदलना चाहिए, क्योंकि सत्र पूरी तरह से कानूनी है और इसमें कई जरूरी बिल लाए जा रहे हैं, जो पंजाब सरकार व लोगों से संबंधित हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इन बिलों को लेकर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
बता दें कि शुक्रवार को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने इस सत्र को गैर-कानूनी बताया था। 20 अक्तूबर को पंजाब सरकार की ओर से बुलाए जा रहे विधानसभा सत्र पर अब सूबे में सियासत तेज हो गई है। जब मीडियाकर्मियों ने पुराने बिलों के संबंध में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि अब तक उनके पास राज्यपाल की तरफ से कोई पत्र नहीं आया है, जिससे पता चल सके कि उन्होंने बिलों को मंजूरी दी है या नहीं। उन्होंने कहा कि विधानसभा में जो भी बिल पास होते है, वह राज्य की बेहतरी के लिए पास किए जाते हैं।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal