पंजाब की राज्य सरकार ने 1987 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वीके भावरा की जगह गौरव यादव को डीजीपी के पद पर नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए थे। इन आदेशों के खिलाफ आईपीएस भावरा ने कैट में याचिका दायर कर दी थी।
पंजाब के मौजूदा पुलिस महानिदेशक गौरव यादव को केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (कैट) से बड़ी राहत मिली है। गौरव यादव को डीजीपी के पद पर तैनात करने को लेकर दायर की गई याचिका को कैट ने खारिज कर दिया है।
यादव के खिलाफ पंजाब के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी व पूर्व डीजीपी वीके भवरा ने याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने नियुक्ति को यूपीएससी के नियम तोड़े जाने का हवाला दिया था। लेकिन मामले में याचिकाकर्ता सहित बनाई गई पार्टियों की दलीलों को सुनने के बाद कैट ने सोमवार को अपना फैसला मौजूदा डीजीपी के हक में सुनाते हुए याचिका को ही खारिज कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक पंजाब की राज्य सरकार ने 1987 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वीके भावरा की जगह गौरव यादव को डीजीपी के पद पर नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए थे। इन आदेशों के खिलाफ आईपीएस भावरा ने कैट में याचिका दायर कर दी और केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित पंजाब सरकार व यूपीएससी को पार्टी बनाया गया।
पंजाब सरकार ने बिना किसी पैनल के ही गौरव यादव को डीजीपी के पद पर नियुक्त कर दिया है। जबकि यूपीएससी के नियमानुसार डीजीपी के पद पर किसी भी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करने के लिए पैनल बनाया जाता है और यह पैनल यूपीएससी के पास भेजा जाता है। इसके अलावा गौरव यादव 1992 बैच के आईपीएस है जबकि याचिकाकर्ता खुद उनसे काफी सीनियर है और 1987 बैच के आईपीएस है। इसलिए गौरव यादव को इस पद पर नियुक्ति देने के लिए न तो यूपीएससी के पास पैनल भेजा गया और नियमों की अवहेलना सहित वरिष्ठता को दरकिनार करके उन्हें इस डीजीपी बना दिया गया।
कैट में दायर याचिका के बाद पंजाब सरकार सहित पार्टी बनाए गए लोगों को नोटिस जारी किया गया जिसमें सभी विभागों ने अपने-अपने स्तर पर डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अपना जवाब दिया। इसके बाद सोमवार को कैट ने याचिकाकर्ता की याचिका को ही खारिज कर दिया है।