लॉकडाउन में जब लोगों की नौकरियां जा रही थीं तो हरियाणा के पंचकूला के रहने वाले अनीश गुप्ता युवाओं को नौकरी पर रख रहे थे। अनीश गुप्ता ने कोरोना आपदा को अवसर में बदल दिया है। उन्होंने ऑनलाइन कोडिंग का स्टार्टअप शुरू किया और दस युवाओं को रोजगार भी दिया।
पंचकूला सेक्टर 21 के रहने वाले अनीश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन में न तो मूवमेंट थी न ही कुछ काम। दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न ऑनलाइन कुछ काम शुरू किया जाए। एक प्रोजेक्ट मेरे जेहन में काफी लंबे समय से था। वह था ऑनलाइन पढ़ाई का। टीचिंग तो काफी लोग कर रहे थे, लेकिन ऑनलाइन कोडिंग में बहुत कम लोग हैं। ऐसे में ऑनलाइन कोडिंग की टीचिंग का काम शुरू कर दिया।
इस प्रोजेक्ट के साथ उन्होंने दस युवाओं को रखा है। इन युवाओं को न तो कहीं जाना था न ही कोई मार्केटिंग करनी थी। बस घर में अपने लैपटॉप से ही काम करते रहे। अनीश गुप्ता ने बताया कि छह माह लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने इस स्टार्टअप के लिए ऑनलाइन प्रचार का प्लेटफार्म तैयार किया।
अनीश गुप्ता ने बताया कि यदि लॉकडाउन न होता तो शायद ही वे कभी कोडिंग का काम कर पाते। उन्होंने कहा कि यह डिजिटल वर्ल्ड है और कोडिंग प्लेटफार्म के माध्यम से बच्चे हर क्रिएशन में लॉजिक देखते हैं। लोगों तक अपने प्लेटफार्म को पहुंचाने के लिए वेबसाइट बनाई। वे कहते हैं कि डिजिटल वर्ल्ड में हर चीज में कोडिंग है। चाहे लाइट्स हों या फिर मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रानिक आइटम।
अनीश कहते हैं कि बच्चे काफी ज्यादा क्रिएटिव होते हैं और कोडिंग सीखने के बाद जब वह इसके साथ खेलेंगे तो वह नई चीजें बना सकते हैं। इससे उनका दिमाग कुछ नया सोचता है और वे अपने काम को अच्छी तरह से कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि वे डेमो सेशन भी देते हैं और उसके साथ बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग भी करते हैं। इस समय उनके साथ 100 विद्यार्थी कोडिंग सीख रहे हैं।
किसी भी कंप्यूटर प्रोग्राम को डेवलप करने और चलाने के लिए कंप्यूटर को समझ आने लायक भाषा के प्रयोग से उसको आदेश देना कोडिंग कहलाता है। वास्तव में कंप्यूटर एक ही भाषा समझता है जिसे बाइनरी भाषा कहते हैं। इस भाषा में केवल एक और शून्य का प्रयोग होता है। आम आदमी इस जटिल भाषा को नहीं समझ पाते हैं, इसलिए आसानी के लिए कई भाषाएं बनाई गई हैं। जैसे जावा, सी प्लस प्लस और बेसिक। इनका प्रयोग करके ही कोडिंग की जाती है।