भारत समेत पूरी दुनिया में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। नार्वे में नए साल के चार दिन पहले फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन को लगाने का काम शुरू किया गया। नॉर्वे में टीका लगने के बाद अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 75 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।

पिछले साल 27 दिसंबर को कोविड टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से देश में 25,000 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया है। नॉर्वे में जिन लोगों की मौत हुई है, उन्होंने वैक्सीन की पहली ही डोज ली थी, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। सरकार का कहना है कि जो लोग बीमार हैं और बुजुर्ग हैं, उनके लिए टीकाकरण काफी रिस्क भरा हो सकता है। मरने वाले 29 लोगों में से 13 लोगों की वैक्सीन से ही मरने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि अन्य की मौत के मामले में जांच चल रही है।
नॉर्वेयिन मेडिसिन एजेंसी ने कहा कि जिन लोगों की मौत की जांच की गई है, उनमें से कमजोर, बुजुर्ग लोग थे, जो नर्सिंग होम में रहते थे। जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें सभी की उम्र 80 साल के ऊपर थी। वहीं शनिवार को मरने वाले छह लोगों की उम्र 75 साल के करीब है। ऐसा लगता है कि इन मरीजों को वैक्सीन लगवाने के बाद बुखार और बेचैनी के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा, जिससे वे गंभीर रूप से बीमार हो गए। इसके चलते उनकी मौत हो गई। इसके बाद से यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में किन समूहों को टीका लगाना है।
- नॉर्वेजियन मेडिसिन एजेंसी (एनएमए) के अनुसार, Pfizer और BioNTech द्वारा बनाया गया कोविड -19 टीका नॉर्वे में उपलब्ध एकमात्र वैक्सीन है और सभी मौतों को इसके साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
- नॉर्वेयिन मेडिसिन एजेंसी के अनुसार, 13 का अब तक परिणाम सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि सामान्य दुष्प्रभाव ने बीमार, बुजुर्ग लोगों में गंभीर रिएक्शन किया है। वहीं अभी 16 लोगों की जांच के परिणाम आने का इंतजार है।
- ज्यादातर लोगों में देखा जा रहा दुष्प्रभाव मतली, उल्टी और बुखार आदि है, जिससे से उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है।
- फाइजर के टीके पर सवाल उठने के बाद कंपनी ने कहा कि बायोएनटेक और एनआईपीएच के साथ मौतों की जांच कर रहा है।
- नॉर्वे ने अभी तक छोटे बच्चों और स्वस्थ लोगों को टीका लगवाने से बचने के लिए नहीं कहा है।
नॉर्वेयिन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ का कहना है कि जो काफी बुजुर्ग हैं और लगता है कि उनकी जिंदगी का कुछ ही वक्त बचा है, तो ऐसे लोगों को वैक्सीन का लाभ शायद ही मिले या फिर अगर मिले भी तो काफी कम मिलने की संभावना है।
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