सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के क्षेत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की तैयारी का एक सूचकांक लाने पर विचार कर रही है। इससे पता चलेगा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किस राज्य ने अपने स्तर पर कितनी तैयारी की है। एक अधिकारी के मुताबिक ऐसा पहला सूचकांक अगले वर्ष जनवरी में जारी कर दिए जाने की उम्मीद है। अधिकारी के मुताबिक इस कदम से निर्यात को बढ़ावा देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ स्पर्धा शुरू करने में भी मदद मिलेगी।
अधिकारी का कहना था कि सूचकांक में कारोबारी माहौल, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परिवहन संपर्क, वित्त उपलब्धता, निर्यात इन्फ्रास्ट्रक्चर और व्यापार समर्थन जैसे महत्वपूर्ण मानक शामिल किए जाएंगे। नीति आयोग और वाणिज्य मंत्रलय दोनों इस सूचकांक पर काम कर रहे हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा समुद्र-तटीय और पहाड़ी राज्यों के लिए भी अलग से रैंकिंग जारी की जाएगी।
जानकारों के मुताबिक इस तरह के सूचकांक से राज्य निर्यात और निवेशकों को आकर्षित करने के अनुकूल नीतियां बनाने को प्रेरित होंगे। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आइआइएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा कि इस तरह के सूचकांक से राज्यों को आत्मनिरीक्षण करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा निर्यातकों को भी सही दिशा और दिशानिर्देश मिल सकेंगे। सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में ऐसा ही एक सूचकांक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पहले से जारी कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान निर्यात में एक ठहराव से आ गया है। वित्त वर्ष 2011-12 से ही निर्यात का आंकड़ा 300 अरब डॉलर (वर्तमान भाव पर करीब 21 लाख करोड़ रुपये) के आसपास रहा। पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में निर्यात 331 अरब डॉलर के करीब पहुंच पाया। दुनियाभर में निर्यात के मामले में भारत की हिस्सेदारी इस वक्त महज 1.7 प्रतिशत के आसपास है। सेवाओं के मामले में यह आंकड़ा 3.4 प्रतिशत तक पहुंचता है।