शहर के शासकीय और निजी अस्पतालों में सभी आइसीयू भरे होने से मेडिकल ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। इस कारण अस्पतालों के पास फिलहाल एक-दो दिन की ही ऑक्सीजन उपलब्ध है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि अभी किसी अस्पताल से कोई शिकायत नहीं आई है और विभिन्न कंपनियों से आपूर्ति भी लगातार जारी है।

इस समय वडोदरा, भिलाई और बोकारो के स्टील प्लांट से ऑक्सीजन पहुंच रही है। ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली इंदौर और पीथमपुर की कंपनियों से प्रशासन लगातार संपर्क में है। दो दिन पहले बोकारो से भी ऑक्सीजन का टैंकर पीथमपुर पहुंचा। पीथमपुर स्थित कंपनी के प्लांट से इंदौर के अस्पतालों को आपूर्ति की जा रही है।
अन्य जिलों से भी कोरोना के मरीज आ रहे हैं इंदौर
प्रशासन का मानना है कि धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, झाबुआ, बुरहानपुर, रतलाम, देवास, मंदसौर, हरदा सहित अन्य जिलों से भी कोरोना के मरीज इंदौर आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश गंभीर स्थिति वाले होते हैं, इसलिए उनके लिए ऑक्सीजन जरूरी है।
ऑक्सीजन का इंतजाम करने में लगे अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने बताया कि अभी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। किसी अस्पताल की ओर से ऑक्सीजन को लेकर समस्या नहीं बताई गई है। जहां से मांग आती है, कंपनियों से समन्वय बनाकर इसकी पूर्ति की जा रही है।
ऑक्सीजन की कालाबाजारी
बता दें कि जुलाई में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद ऑक्सीजन की कालाबाजारी की शिकायतें आनी शुरू हो गई थीं। इसे रोकने के लिए 24 जुलाई को अनधिकृत व्यक्ति के लिए खाली सिलेंडर में आक्सीजन भरवाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसी दिन आक्सीजन उत्पादकों, उसे सिलेंडर में भरने वाले और भरे हुए सिलेंडर का स्टॉक रखने वाली सभी कंपनियों के लिए प्रतिदिन का डाटा रखना अनिवार्य कर दिया। लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए टैंकर, सिलेंडर और उसके फिलिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया गया। जाहिर समस्या बढ़ती चली गई।
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