विधानसभा चुनाव से पहले बिहार राज्य को सरकारी योजनाओं की सौगात दी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पेट्रोलियम सेक्टर की तीन योजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं. पीएम मोदी ने पारादीप-मुजफ्फरपुर एलपीजी पाइपलाइन परियोजना के तहत हरसिद्धि पूर्वी चंपारण में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और दुर्गापुर-बांका क्षेत्र में इंडियन ऑयल के नवनिर्मित बांका एलपीजी बॉटलिंग प्लांट का उद्घाटन किया.
दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होकर पीएम मोदी ने पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन के दुर्गापुर-बांका सेक्शन के 193 किमी लंबी पाइपलाइन का भी उद्घाटन किया.
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब देश और बिहार उस दौर से बाहर निकल रहा है जिसमें एक पीढ़ी काम शुरू होते देखती थी और दूसरी पीढ़ी उसे पूरा होते हुए. नए भारत, नए बिहार की इसी पहचान, इसी कार्य संस्कृति को हमें और मजबूत करना है और निश्चित तौर पर इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी बहुत बड़ी भूमिका है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार के लिए जो प्रधानमंत्री पैकेज दिया गया था, उसमें पेट्रोलियम और गैस से जुड़े 10 बड़े प्रोजेक्ट थे, इन पर करीब 21,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे. आज ये 7वां प्रोजेक्ट है जिस पर काम पूरा हो चुका है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होती थी. एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं. जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है. जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था, उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था, लेकिन बिहार में अब ये अवधारणा बदल चुकी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार सहित पूर्वी भारत में ना तो सामर्थ्य की कमी है और ना ही प्रकृति ने यहां संसाधनों की कमी रखी है, बावजूद इसके बिहार और पूर्वी भारत विकास के मामले में दशकों तक पीछे ही रहा. इसकी बहुत सारी वजहें राजनीतिक थीं, आर्थिक थीं, प्राथमिकताओं की थीं.
पीएम ने कहा कि राज्य में बिजली की क्या स्थिति थी, ये भी जगजाहिर है. उन्होंने कहा कि गांवों में दो-तीन घंटे बिजली आ गई तो भी बहुत माना जाता था. शहर में रहने वाले लोगों को भी 8-10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिलती थी. आज बिहार के गांवों में, शहरों में बिजली की उपलब्धता पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा हुई है.