एजेंसी/अमेरिकी विदेश विभाग ने धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के सदस्यों को भारतीय वीजा नहीं दिए जाने के मामले पर चिंता जताते हुए निराशा जाहिर की है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि दुनिया भर में धार्मिक आजादी के उल्लंघन पर नजर रखने में ये आयोग अहम भूमिका निभाता है।
कर्बी ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह का बयान देने से इनकार किया लेकिन उन्होंने बार-बार ये बात दोहराई कि अमेरिका भारत के इस फैसले से निराश है।
उनका कहना था, “हम ये मानते हैं कि कोई भी समाज और मजबूत होता है जब लोगों को उनकी मर्जी से प्रार्थना करने या न करने की आजादी हो और ये भारत और दुनिया के हर देश पर लागू होता है।”
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग एक स्वतंत्र संस्था है जिसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है और इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति और कांग्रेस मिलकर करते हैं।
प्रवक्ता का कहना था कि विदेश विभाग आयोग के काम का पूरी तरह से समर्थन करता है। उनका कहना था कि इस मामले पर और धार्मिक आजादी से जुड़े मामले पर भारतीय अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत हो रही है।विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन कर्बी का कहना था, “ये कोई ऐसा विषय नहीं है जिस पर हमारी बातचीत नहीं होती है और न ही ये ऐसा विषय है जिस पर बात करने से हम डरते हों या परहेज करते हों।”
इसके पहले अमेरिका में भारतीय दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा था कि अमेरिकी आयोग के पास कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि वो भारतीय लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर टिप्पणी करे।
गौरतलब है कि 2015 में इस अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में धार्मिक और सांप्रदायिक हिंसा में पिछले तीन सालों में बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक एक बहुलतावादी, गैर सांप्रादायिक और लोकतांत्रिक देश होते हुए भी अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने में भारत संघर्ष करता रहा है और उनके खिलाफ अपराध होने पर सजा दिलवाने में उसे सफलता नहीं मिल पाती है।
बीबीसी के साथ एक खास बातचीत में 2013 में आयोग की प्रमुख कैटरीना लैंटोस ने ये भी कहा था कि वो उम्मीद करती हैं भारतीय जनता मोदी को चुनने से पहले गुजरात की उनकी पृष्ठभूमि को भी याद करेगी।
आम चुनाव से कुछ महीनों पहले जब मोदी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार की तौर पर उभर रहे थे तो विदेश विभाग ने ये बयान दिया था कि मोदी किसी आम भारतीय की तरह वीजा के लिए आवेदन दे सकते हैं और उस पर गौर किया जाएगा।
इस पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान रहा है कि उन्होंने अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन ही नहीं दाखिल किया था इसलिए उस पर रोक लगाने का सवाल ही नहीं उठता।