लॉकडाउन के बीच बेरोजगार हुए प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए जद्दोजहद जारी है। आर्थिक तंगी के चलते घर लौटने के लिए वे किराये का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे हैं।
हालांकि राज्य सरकारों का दावा है कि वे इन मजदूरों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था कर रही हैं और उनकी घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था भी है।
लेकिन हालात इससे अलहदा हैं। कितनों को यह सरकारी सुविधा मिल पा रही है, इसे सड़कों पर उमड़े मजदूरों के हुजूम से समझा जा सकता है।
मुसीबत में घर पहुंचने के लिए किसी को पत्नी के गहने बेचने पड़े तो कोई हताश-निराश साइकिल या पैदल ही चल पड़ा है।
सूत्रों के मुताबिक बाहरी राज्यों में जाने के लिए पंजीकरण करवाने वाले करीब 70 हजार लोगों में से उत्तर प्रदेश के 32 हजार, बिहार के 21 हजार, पश्चिम बंगाल के 2500, पंजाब-मध्य प्रदेश-झारखंड के तीन-तीन हजार, चंडीगढ़ के एक हजार, हरियाणा-उत्तराखंड के डेढ़-डेढ़ हजार लोग हिमाचल के विभिन्न जिलों में फंसे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के करीब 18 हजार से ज्यादा लोग सोलन जिला में ही फंसे हुए हैं। अब इन लोगों की घर वापसी का स्वरूप वहां की सरकारों के रुख पर ही तय होगा।
हिमाचल से बिहार जाने वाले कई लोगों ने जाने की जगह पोर्टल पर आने के लिए आवेदन कर दिया है। हिमाचल आने के लिए बिहार के लोगों की संख्या अधिक पाए जाने पर जब अफसरों ने संपर्क साधा तो पता लगा कि इन्होंने जाने की जगह गलती से आने का पंजीकरण करवा दिया है। ऐसे लोगों से अब दोबारा से पंजीकरण करवाया जा रहा है।
रेलवे की तरफ से चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करने वालों की संख्या ने 10 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। इन ट्रेनों का संचालन लॉकडाउन के चलते बंद हो गए काम-धंधों के कारण परेशानी में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके मूल राज्यों तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, सबसे ज्यादा घर वापसी की इच्छा गुजरात में फंसे प्रवासी कामगारों ने दिखाई, जहां से बुधवार रात तक 4 लाख से ज्यादा लोग श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सवार होकर वापस निकल चुके थे। वहीं, घर वापसी का सबसे बड़ा आंकड़ा उत्तर प्रदेश का रहा, जहां करीब 3 लाख से ज्यादा लोग श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से पहुंचे हैं।
रेलवे अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि 1 मई से अब तक 800 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा चुका है, जिनसे 10 लाख से ज्यादा प्रवासी कामगारों ने यात्रा की है। इन 10 लाख में से करीब 40 फीसदी प्रवासी कामगार गुजरात से विभिन्न प्रदेशों के लिए संचालित की गईं 301 ट्रेन में सवार होकर गए हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव अश्विनी कुमार के मुताबिक, इन 301 ट्रेन में से 204 उत्तर प्रदेश, 34 बिहार, 30 ओडिशा, 20 मध्य प्रदेश और 8 झारखंड के लिए संचालित की गई हैं।
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन ही परिवहन का अहम जरिया है। लेकिन सवारियों की संख्या सिमित होने के कारण सभी लोग एक साथ नहीं जा पा रहे।
ऐसे में लाखों प्रवासियों घरों को लौटने के ट्रकों में पशुओं की तरह भरकर जाने को तैयार हैं। वे बस किसी तरह से घर पहुंचना चाहते हैं।
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन ही परिवहन का अहम जरिया है। लेकिन सवारियों की संख्या सिमित होने के कारण सभी लोग एक साथ नहीं जा पा रहे।
ऐसे में लाखों प्रवासियों घरों को लौटने के ट्रकों में पशुओं की तरह भरकर जाने को तैयार हैं। वे बस किसी तरह से घर पहुंचना चाहते हैं।
रेलवे की तरफ से चालू की गई सीमित रेल सेवा के तहत कर्नाटक में बृहस्पतिवार को पहली विशेष ट्रेन पहुंची। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली से चलकर बंगलूरू सिटी रेलवे स्टेशन पहुंची इस ट्रेन में सवार करीब 1000 यात्रियों की स्क्रीनिंग करने के बाद उन्हें क्वारंटीन सेंटरों में भेज दिया गया।
हालांकि यात्रियों ने ट्रेन के अंदर के हालात को लेकर बहुत सारी शिकायतें की हैं। यात्रियों का कहना था कि उन्हें क्वारंटीन किए जाने के बारे न तो पर्याप्त जानकारी दी गई और न ही क्वारंटीन सेंटर में तब्दील किए गए होटलों का ब्योरा ही उपलब्ध कराया गया।
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण 54 दिन तक बंद रहने के बाद मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर बृहस्पतिवार को पहली यात्री ट्रेन पहुंची।
दिल्ली से सुबह 8.40 बजे पहुंची इस विशेष यात्री ट्रेन के यात्रियों को थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजेशन के बाद होम क्वारंटीन की मुहर लगाई गई।
इसके बाद सभी यात्रियों को 14 दिन तक घरों में ही बंद रहने की हिदायत देकर बसों के जरिये रवाना कर दिया गया। हालांकि इस दौरान यात्रियों ने जांच के नाम पर दो घंटे तक लाइनों में खड़े रहने की शिकायत की, लेकिन ज्यादातर यात्री दो महीने बाद घर लौटने के चलते खुश दिखाई दिए।