नई दिल्लीः विधि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों में पता लगा है कि विगत तीन वर्षों में न्यायाधीश-आबादी अनुपात में थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2011 की जनगणना और उच्चतम न्यायालय, 24 उच्च न्यायालयों एवं अनेक अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता के आधार पर देश में प्रति 10 लाख लोगों पर 19.66 न्यायाधीश की संख्या बताई गई है. वर्ष 2014 में यह अनुपात प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 17.48 न्यायाधीश का था.
मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि, “उच्चतम न्यायालय में 31 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं जबकि 25 न्यायाधीश कार्यरत हैं. देश भर के 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 1,079 पद स्वीकृत हैं, परंतु असल में 684 न्यायाधीशों द्वारा कामकाज सम्पन्न होता है. गौरतलब है कि वर्ष 2014 से अब तक स्वीकृत पदों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन कामकाज या असल क्षमता में पर्याप्त इजाफा नहीं हुआ है. अभी भी न्यायाधीशों के 395 पद रिक्त हैं.
वहीं निचली अदालतों को देखा जाए तो, वर्ष 2014 से स्वीकृत न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है और रिक्तियां कम हुई हैं. वर्ष 2014 में निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों/न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता 20,214 थी जो वर्ष 2017 में बढ़कर 22,677 हो गई. 2014 में न्यायाधीशों की संख्या 15634 थी, वहीं 2017 में 16,693 न्यायाधीश काम कर रहे थे, जबकि साल 2017 के अंत में अधीनस्थ अदालतों में 5,984 रिक्तियां थीं.