भारत में कोरोना का संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 24 घंटे में 93 हजार से अधिक नए मरीजों का पता चला है। जिन राज्यों में कोरोना के नए मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, लगभग 80 फीसदी नए मरीज इन्हीं राज्यों से हैं। हालांकि इस दौरान देश में टीकाकरण अभियान में भी काफी तेजी आई है। देश में अब तक कोरोना के करीब सात करोड़ 60 लाख टीके लगाए जा चुके हैं।
दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. गौतम खटक कहते हैं, ‘कोरोना की जब शुरुआत हुई थी, तब पूरा लॉकडाउन कर दिया गया था, क्योंकि तब यह बिल्कुल नया था। उस दौरान इसका कोई इलाज नहीं था। लॉकडाउन के दौरान सरकार को समय मिल गया, इससे बचाव के उपाय ढूंढने का। शुरू-शुरू में काफी कैजुअलिटी भी हुई। फिर साल 2020 भी गया और हमें पता लगा कि हम इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं।
16 जनवरी 2021 से पूरे देश में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। तब लोगों ने सोचा कोरोना संक्रमण कम हो गया है, सभी निश्चिंत हो गए और लापरवाही बरतनी शुरू कर दी। लोगों ने कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर (कोरोना से बचने के उपाय) का पालन करना बंद कर दिया। बड़े-बड़े आयोजनों में लोग भीड़ जुटाने लगे और इन्हीं वजहों से कोरोना फिर फैलने लगा और केस एकदम से बढ़ने लगे।’
डॉ. गौतम खटक कहते हैं, ‘टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया है, पहले फर्स्ट डोज लगेगी और फिर उसके बाद सेकंड डोज लगेगी। कोवैक्सीन की जो नई गाइडलाइंस आई हैं, उसमें उन्होंने पहली और दूसरी डोज के अंतराल को बढ़ाकर 6-8 हफ्ते कर दिया है। वैक्सीन की डोज हमारे शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करेगी। जब दूसरी डोज लग जाएगी, उसके बाद ही हम इस कोरोना की दूसरी लहर से बच पाएंगे। दूसरे देशों में भी वैक्सीन लगने के बाद स्थिति नियंत्रण में है।’
डॉ. गौतम खटक कहते हैं, ‘अगर वैक्सीन लग भी गई है, तब भी लापरवाही नहीं बरतनी है। हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि हमने वैक्सीन लगवा ली है तो हमें कुछ नहीं होगा या हम मास्क नहीं लगाएंगे, हाथों को सैनिटाइज नहीं करेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग (सुरक्षित शारीरिक दूरी) का पालन नहीं करेंगे।
हमें सबकुछ पहले की तरह ही करना है। डोज लेने के बाद भी कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर (कोरोना से बचने के उपाय) का पालन करना है। जब तक कोरोना वायरस नियंत्रित नहीं हो जाता है, तब तक हमें सबकुछ करना है। सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का भी पालन करना है।’
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