कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच वर्तमान में सबसे बड़ी चिंता का विषय देश में वेंटिलेटर की कमी है। इस माहौल में एक उत्साहजनक खबर कश्मीर से आई है। कश्मीर के डॉक्टरों और कई इंजीनियर की एक टीम ने एक ऐसा प्रोटोटाइप तैयार किया है जिससे एक समय में एक वेंटिलेटर से करीब 4 मरीजों को ऑक्सीजन की सप्लाई दी जा सकती है। इस टीम के एक डॉक्टर के अनुसार, इस प्रोटोटाइप का टेस्ट सफल भी रहा है।डॉ. सुनीम खान ने बताया कि इस आपात समय में 3-डी टेक्नालॉजी से बने स्प्लिटर से सामान्य स्थिति में आसानी से 4 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट दिया जा सकता है।
एक वेंटिलेटर एक श्वसन चक्र (श्वसन प्रक्रिया) में 2000 एमएल कंसंट्रेट ऑक्सीजन सप्लाई दे सकता है और अगर स्प्लिटर का इस्तेमाल किया जाए तो करीब 500 एमएल एक मरीज को मिल पाएगा।
हालांकि ये अस्थमा या किसी अन्य गंभीर सांस की बीमारी वाले मरीज के लिए कम पड़ सकता है। लेकिन इस आपात समय में इसका प्रयोग किया जा सकता है। डॉ. सुनीम ने बताया कि वेंटिलेटर की एक्सपाइरेट्री और इंस्पिरेट्री लिंब्स पर एक-एक स्प्लिटर लगाने की जरूरत है। इसके एक प्रोटोटाइप का सफल टेस्ट गुरुवार को स्किम्स में किया गया।
चेस्ट डिजीज अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि कोरोना से संक्रमित मरीजों की श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है। इससे उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे में इन मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखना जरूरी होता है। अगर कोरोना मरीजों की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ती है तो हमें वेंटिलेटर की कमी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में यह स्प्लिटर काफी राहत देगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार देश में 37618 आईसोलेशन बेड, 9512 आईसीयू बेड और 8432 वेंटिलेटर की क्षमता है। वहीं अगर श्रीनगर के सबसे बड़े अस्पताल शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (स्किम्स) में कुल 70 और पूरी घाटी में 100 के करीब वेंटिलेटर हैं जो करीब 70 लाख लोगों के लिए नाकाफी हैं।
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन(एफडीए) ने स्प्लिटर के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी है, जिसे प्रिस्मा स्वास्थ्य अधिकारियों ने वेस्पर का नाम दिया है। स्प्लिटर का यह उपयोग संकट के इस समय में एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।