दूसरे राज्यों में कारोबारियों का रिफंड अब नहीं फंसेगा, जीएसटी काउंसिल का फैसला…

दूसरे राज्य से कारोबार करने वाले कारोबारियों का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) अब नहीं फंसेगा। उन्हें आइटीसी रिफंड के लिए दूसरे राज्यों का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ेगा। इसके लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) काउंसिल ने आइटीसी समायोजन की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है।

अब आइजीएसटी (इंटीग्रेडेट जीएसटी) के आइटीसी का समायोजन पहले आइजीएसटी के आइटीसी से होगा फिर सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी) और एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी) के आइटीसी से। इसके बाद सीजीएसटी का सीजीएसटी से और एसजीएसटी के आइटीसी का समायोजन एसजीएसटी के आइटीसी से होगा। अभी तक तीनों टैक्स पहले आपस में समायोजित होते थे, फिर आइजीएसटी का सीजीएसटी और एसजीएसटी से समायोजन होता था।

अपने राज्य में खरीद-बिक्री या सेवा पर सीजीएसटी और एसजीएसटी लेवी होती है, जबकि यही कारोबार दूसरे राज्य से करने पर आइजीएसटी और सीजीएसटी। कारोबारी के लिए रिटर्न में आइजीएसटी का उल्लेख करना जरूरी है। रिटर्न फाइल करने के साथ ही जीएसटी पोर्टल पर तीनों टैक्स में कारोबारी को मिलने वाले आइटीसी की राशि दिखने लगती है।
अब तक आइटीसी के समायोजन के लिए पहले तीनों जीएसटी को आपस में समायोजित करते थे। फिर आइजीएसटी से सीजीएसटी, एसजीएसटी के आइटीसी को समायोजित किया जाता था। आइजीएसटी का समायोजन बाद में होने के कारण बची हुए आइटीसी की राशि का रिफंड नहीं हो पा रहा था। कारोबारियों की रकम फंस रही थी।

उन्हें दूसरे राज्य के कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा था। अब नई व्यवस्था में सबसे पहले आइजीएसटी के आइटीसी का समायोजन आइजीएसटी के आइटीसी से होगा। फिर भी राशि बचती है तो सीजीएसटी से और तब भी आइटीसी बचने पर आइजीएसटी का समायोजन एसजीएसटी से किया जाएगा। इसके बाद सीजीएसटी के आइटीसी का समायोजन सीजीएसटी से और एसजीएसटी के आइटीसी का एसजीएसटी से होगा। इस प्रक्रिया में आइजीएसटी का रिफंड बचने की संभावना नगण्य हो जाएगी।

इनका ये है कहना

पुरानी व्यवस्था में आइजीएसटी का आइटीसी बकाया रह जाता था। इसका रिफंड लेना मुश्किल था। नई व्यवस्था में पहले आइजीएसटी के आइटीसी का समायोजन होगा। सबसे अंत में अगर आइटीसी बचेगा भी तो वह एसजीएसटी का होगा। इसका रिफंड या भविष्य में समायोजन, दोनों आसान है।

 

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