माउंट आबू में एक ऐसा मंदिर है जिसमें दर्शन के बगैर आपका यहां का सफर अधूरा है। जो है माउंट आबू का सर्वेश्र्वर रघुनाथ मंदिर। यह दुनिया में ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां राम बिल्कुल अकेले हैं।
हममें से किसी ने माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के बिना भगवान राम की मूर्ति की नहीं देखी है, लेकिन इस मंदिर में 5500 साल पुरानी भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति है, जिसे 700 साल पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने स्थापित किया था। मंदिर की मान्यताएं
वैष्णवों के चार संप्रदायों में मुख्य रामानंद संप्रदाय की तपसी शाखा का उद्गम पीठ यही है। ऐसी मान्यता है कि यहां राम जी तपस्वी के वेश में विराजमान हैं। अत: आज भी यहां उनकी पूजा रामानंद संप्रदाय के साधु करते हैं। रामनवमी पर यहां विशाल मेला लगता है। मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन रामकुंड है। मान्यता है कि यहां राम जी ने स्नान किया था।
कुंड का पानी कई रोगों से मुक्ति दिलाने और मानसिक शांति देने वाला माना जाता है। इस कुंड के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। वे इसे भगवान राम का प्रसाद मानते हैं। माउंट आबू का प्राचीन नाम अर्बुदांचल है। पुराणों में इसका उल्लेख अर्बुदारण्य (अर्थात अर्बुदा के वन) के नाम से भी मिलता है।
बाद में यही आबू में परिवर्तित हो गया। ऐसी मान्यता है कि जब वशिष्ठ ऋषि का विश्र्वामित्र से मतभेद हो गया था, तब वे माउंट आबू के दक्षिणी भाग में आकर बस गए थे। उन्होंने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहां यज्ञ का आयोजन भी किया था।
माउंट आबू से लगभग 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित अर्बुदा अर्थात अधर देवी मंदिर की प्रसिद्धि भी दूर-दूर तक है। कहते हैं कि माता पार्वती के होंठ यहां गिरे थे। इसलिए यह अर्बुदा देवी (अर्बुदा यानी होठ) के नाम से प्रसिद्ध है।
कैसे जाएं?
हवाई मार्ग: माउंट आबू का सबसे निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर 185 किलोमीटर, जबकि अहमदाबाद 235 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है, जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है।
सड़क मार्ग: यह सड़क मार्ग से देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए संचालित की जाती हैं।