म्यांमार के यांगून में सुरक्षाबलों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं और कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस घटना में 18 लोग मारे गए हैं और 30 घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक बयान में म्यांमार के कई शहरों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यांगून, दावेई, मांडले, म्यीक, बागो और पोकोक्कु में भीड़ पर गोलीबारी किये जाने से 18 लोगों की मौत हुई है.’’ कार्यालय प्रवक्ता रविना शामदसानी के हवाले से कहा गया है, ‘‘हम म्यांमार में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं और सेना से शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ बल का इस्तेमाल तुरंत बंद किए जाने का आह्वान करते हैं.’’ प्रदर्शनकारी देश की नेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने की मांग कर रहे हैं.
वहीं एसोसिएटेड प्रेस के एक पत्रकार को विरोध प्रदर्शनों की कवरेज करते हुए शनिवार सुबह पुलिस ने हिरासत में ले लिया. पत्रकार थीन जॉ, पुलिस हिरासत में हैं. ‘डेमोक्रेटिक वॉयस ऑफ बर्मा’ (डीवीबी) की खबर के अनुसार शाम पांच बजे तक 9 शहरों में 19 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि अन्य 10 मौतों की पुष्टि नहीं हुई है. डीवीबी के अनुसार यांगून में पांच लोगों और मांडले में दो लोगों की मौत हुई है. वहीं स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक दावेई में पांच लोगों की मौत होने की खबर है. तीन लोगों की मौत विरोध मार्च के दौरान हुई.
वहीं न्यूयॉर्क स्थित ह्यूमन राइट्स वॉच के डिप्टी एशिया निदेशक फिल रॉबर्टसन ने कहा, “दुनिया म्यांमार की सैन्य टुकड़ी की कार्रवाई देख रही है. इस कार्रवाई को लेकर उनकी पूरी जवाबदेही होगी.” उन्होंने कहा, “गोला बारूद का उपयोग विरोध या प्रदर्शन को रोकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और घातक बल का उपयोग केवल जीवन की रक्षा और गंभीर परिणामों को रोकने के लिए किया जा सकता है.”
बताया गया है कि सुरक्षा बलों ने शनिवार को प्रदर्शनकारियों के लिए रणनीति बनाना शुरू किया. विरोध-प्रदर्शन करने वालों को तोड़ने के लिए कार्रवाई की गई. सैकड़ों की संख्या में गिरफ्तारियां की गईं. इस कार्रवाई के दौरान पुलिस के साथ भारी संख्या में सैनिक भी शामिल थे. हिरासत में लिए गए लोगों को यांगून के उत्तरी बाहरी इलाके में इंसेन जेल में ले जाया गया, जो ऐतिहासिक रूप से राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए कुख्यात है.