देश भर में बहुचर्चित रहा मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट में हुई जिसमें तमाम बिंदुओं पर गौर करते हुए इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और अब इस मामले में सजा का एेलान 11 फरवरी को होगा। मंगलवार को बच्चियों से यौनशोषण के मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य दोषियों को कोर्ट में पेश किया गया । कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत को आज इस बड़े मामले में सुनवाई हुई।
पहले से 14 नंवबर व 12 दिसंबर 2019 को फैसले की तारीख तय की गई थी, लेकिन कभी अधिवक्ताओं की हड़ताल और कभी विशेष कारणों की वजह से मामले के सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी। सीबीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में इन आरोपितों पर बलात्कार व बाल यौन शोषण रोकथाम अधिनियम (पॉक्सो ) की धारा 6 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सीबीआइ की चार्जशीट में लगाए गए इल्जाम के साबित होने की स्थिति में कोर्ट आरोपितों को कम से कम दस साल कैद व अधिकतम उम्रकैद की सजा सुना सकती है।
सीबीआइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि बालिका गृह में किसी लड़की की मौत नहीं हुई थी। साथ ही सीबीआइ ने ये भी पाया है कि बालिका गृह में पीड़िताओं के साथ ना केवल बालिका गृह में तैनात कर्मचारी ही गलत काम कर रहे थे, बल्कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी उसमें शामिल रहे।
बालिक गृह में बच्चियों का यौन शोषण हुआ। हालांकि, आरोपितों ने अदालत में सुनवाई के दौरान अपने आप को बेकसूर बताया था। साथ ही उन्होंने अदालत में मुकदमे का सामना करने की मंशा जाहिर की थी। उसके बाद ही यह सुनवाई शुरू हुई थी।
इस मामले में बालिका गृह का संचालक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है और वो अभी तिहाड़ जेल में बंद है। सीबीआइ के मुताबिक, इस बालिका गृह में 34 लड़कियां 7 से 17 साल की उम्र के बीच की थीं, जिनके साथ महीनों से यौन शोषण हो रहा था। टिस नामक संस्था की जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होने से हड़कंप मच गया था। इस मामले में कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगायी थी।