त्रिपुरा में आगामी 18 फरवरी को होने वाला चुनाव महासंग्राम में बदलता दिख रहा है। वामपंथियों के गढ़ में सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी सीधा मुकाबला करने को कमर कस चुकी है। बीजेपी ने सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों पर नजर लगा रखी है। बता दें कि त्रिपुरा में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां 10-10 सीटों पर कब्जा जमा रखा है। 2013 में भी कांग्रेस ने दस सीटें जीती थीं वहीं 2008 में हुए चुनावों में भी 10 सीटों पर काबिज रही थी। लेकिन इसबार यहां कांग्रेस थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के एमएलए एसआर बर्मन पांच कांग्रेस के सदस्यों के साथ बीजेपी ज्वाइन किया है। बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद बर्मन बताते हैं कि इस बार कांग्रेस के पारंपरिक वोटर वाम दल के खिलाफ हैं और वह बीजेपी के समर्थन में वोट करेंगे। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में हमेशा से ही एंटी लेफ्ट वोट दिए जाते रहे हैं। पिछले रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि त्रिपुरा में एंटी लेफ्ट वोट बीजेपी को मिलेंगे।
सत्ता पर काबिज होने के लिए ‘लाल’ और ‘भगवा’ के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
सत्ता पर काबिज होने के लिए ‘लाल’ और ‘भगवा’ के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
जानकारों का मानना है कि इसबार का चुनाव में गैर वामपंथी कैडर के अलावा अन्य वोटरों की भूमिका अहम होगी ये वह वोटर होंगे जिन्होंने पिछले चुनावों में कांग्रेस को वोट दिया था। त्रिपुरा में भी वोटर बंगाल की तरह अलग राजनीतिक लाइन पर वोट करेंगे।