गांव के लोगों का कहना है कि इस मंदिर में चित्रगुप्त के लिए भी एक कमरा बनाया गया है, जिसमें वो इंसानों के अच्छे-बुरे कामों का लेखा-जोखा एक किताब में रखते हैं। दरअसल, मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात, पृथ्वी पर उनके द्वारा किए गये कार्यों के आधार पर उनके लिए स्वर्ग या नर्क का निर्णय लेने का अधिकार चित्रगुप्त के ही पास है। यानी किस मनुष्य को स्वर्ग मिलेगा और कौन नर्क में जाएगा, इसका फैसला चित्रगुप्त ही करते हैं।
कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर चार छिपे हुए दरवाजे हैं जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं। माना जाता है कि जो लोग ज्यादा पाप करते हैं, उनकी आत्मा लोहे के गेट से अंदर जाती है और जिसने पुण्य किया हो, उसकी आत्मा सोने के गेट के अंदर जाती है।