सीरिया में कुर्द लड़ाकों के खिलाफ अपने सैन्य हमले रोकने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना करने के बावजूद तुर्की इन्हें रोकने की मांगों को अनसुना कर रहा है। जबकि इस कार्रवाई के चलते अमेरिका के साथ उसका तनाव बढ़ गया है। इस बीच, अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस संघर्ष विराम की मांग को लेकर बुधवार (16 अक्टूबर) को अंकारा रवाना हुए।
सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई से विश्व के शक्तिशाली देशों के बीच कूटनीतिक हलचल बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ पेंस को भेजा है। इस बीच रूस सरकार ने कहा है कि वह तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की आगामी दिनों में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक की मेजबानी करेगी।
पेंस ने कहा है कि वह बृहस्पतिवार (17 अक्टूबर) को एर्दोआन से मिलेंगे और फौरन संघर्ष विराम करने और वार्ता के जरिये समाधान तक पहुंचने की अपील करेंगे। उन्होंने दोहराया कि समाधान पर पहुंचने तक ट्रंप आर्थिक पाबंदियों को आगे बढ़ाते रहेंगे। एर्दोआन सैन्य कार्रवाई रोकने के लिये डाले जा रहे दबावों से बेपरवाह बने हुए हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ”वे हमें संघर्ष विराम की घोषणा करने के लिये कह रहे हैं। हम कभी संघर्ष विराम की घोषणा नहीं कर सकते। तुर्की सरकार की कार्रवाई को देश में व्यापक समर्थन मिल रहा है, जहां कुर्द लड़ाकों के दशकों के खून- खराबे में हजारों लोग मारे गये हैं।”
यूरोप के शक्तिशाली देशों का कहना है कि यह कार्रवाई आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रहा है, जो कुर्द लड़ाकों के नेतृत्व में लड़ी जा रही है।
इस बीच, ब्रिटेन और स्पेन ने मंगलवार (15 अक्टूबर) को तुर्की को सैन्य निर्यात निलंबित कर दिया। कनाडा ने भी ऐसा ही कदम उठाया था। तुर्की की सैन्य कार्रवाई में दर्जनों नागरिक मारे गये हैं, जिनमें ज्यादातर कुर्द हैं। कम से कम डेढ़ लाख लोग विस्थापित हो गये हैं।