आम चर्चा 24 सितंबर को शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी। सूची के मुताबिक, ब्राजील के राष्ट्रपति पहले वक्ता होंगे। पारंपरिक रूप से अमेरिका आम चर्चा के पहले दिन दूसरा वक्ता होता है और ऐसी उम्मीद है कि राष्ट्रपति बाइडन अपना अंतिम संबोधन देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित कर सकते हैं। सोमवार को जारी की गई सूची के मुताबिक कि भारत के पीएम मोदी 26 सितंबर की दोपहर में सभा को संबोधित कर सकते हैं।
24 सितंबर से शुरू होगी चर्चा
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की उच्च स्तरीय चर्चा 24 सितंबर से शुरू होगी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सोमवार को जारी वक्ताओं की सूची के अनुसार, भारत के राष्ट्राध्यक्ष 26 सितंबर को संबोधित करेंगे। बता दें, पिछले महीने ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले मोदी इससे पहले सितंबर 2021 में वार्षिक उच्च स्तरीय यूएनजीए सत्र को संबोधित कर चुके हैं।
गौरतलब है, यह अंतिम सूची नहीं है। संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय सत्र से पहले के सप्ताहों में वक्ताओं की अद्यतन अनंतिम सूची जारी करता है, ताकि नेताओं, मंत्रियों और राजदूतों की उपस्थिति, कार्यक्रम और उनके बोलने के समय में हुए हर प्रकार के बदलाव की जानकारी दी जा सके।
इतने दिन चलेगी आम चर्चा
आम चर्चा 24 सितंबर को शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी। सूची के मुताबिक ब्राजील के राष्ट्रपति पहले वक्ता होंगे। पारंपरिक रूप से अमेरिका आम चर्चा के पहले दिन दूसरा वक्ता होता है और ऐसी उम्मीद है कि राष्ट्रपति जो बाइडन पद पर रहते हुए अपना अंतिम संबोधन देंगे। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस बहस शुरू होने से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, जिसके बाद महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष सभा को संबोधित करेंगे।
समिट फॉर फ्यूचर सम्मेलन भी होगा आयोजित
गुटेरेस इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महत्वाकांक्षी समिट फॉर फ्यूचर भी आयोजित कर रहे हैं, जिसके तहत 20-21 सितंबर को कार्यवाही दिवस तथा 22-23 सितंबर को शिखर सम्मेलन आयोजित होगा। विश्व के नेता भविष्य से जुड़े समझौते को अपनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एकत्रित होंगे, जिसमें एक वैश्विक डिजिटल समझौता और भविष्य की पीढ़ियों संबंधी घोषणा शामिल होगी।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, ‘यह शिखर सम्मेलन एक उच्च स्तरीय आयोजन है, जो विश्व नेताओं को एक साथ लाकर इस बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमति बनाने का काम करेगा कि हम कैसे वर्तमान को बेहतर कर सकते हैं और कैसे भविष्य की सुरक्षा कर सकते हैं।’