विमानन सुरक्षा नियामक बीसीएएस ने ड्रोन परिचालन प्रणालियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत ड्रोन के भीतर सीसीटीवी कैमरा लगाने को कहा गया है। बीसीएएस ने उन नियमों की सूची बनाई है, जिनका ड्रोन परिचालन प्रणालियों के लिए स्टाफ के प्रशिक्षण एवं पृष्ठभूमि जांच के संबंध में पालन किया जाना चाहिए। दूर से संचालित विमान (आरपीए), इससे जुड़े संचालन केंद्र, इसके जरूरी आदेश एवं नियंत्रण लिंक आदि मिलकर दूर से संचालित वायु प्रणाली (आरपीएएस) बनाती है।
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है, आरपीए और भंडारण क्षमता के भीतर सीसीटीवी कैमरा लगाना सुनिश्चित करें। लघु एवं सूक्ष्म को छोड़कर सभी श्रेणी के ड्रोन विमानों के लिए 30 दिन की रिकॉर्डिंग रखने की क्षमता हो। सूक्ष्म श्रेणी का ड्रोन या आरपीए का वजन 250 ग्राम से कम होता है। अगर इसका वजन 250 ग्राम से दो किलोग्राम के बीच रहता है, तो वह लघु श्रेणी में आएगा।
बीसीएएस के मुताबिक, आरपीएएस में संचालन केंद्र की प्रकृति निश्चित और स्पष्ट होती है, जबकि व्यावसायिक विमानों की प्रकृति सीमित होती है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि ड्रोन को उड़ान के लिए इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए, जिससे उसमें छेड़छाड़ को रोका जा सके।
इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइल खरीदेगा भारत
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ विवाद को देखते हुए भारत सीमा पर निगरानी रखने और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता को और मजबूत बनाने की तैयारी कर रहा है। इसी के तहत भारतीय फौज इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदेगी। सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत यह खरीद की जाएगी। गौरतलब है कि भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना में पहले से ही मानवरहित हेरोन ड्रोन (हेरोन यूएवी) हैं। भारतीय सैन्य दलों द्वारा लद्दाख सेक्टर में इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
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