‘डिस्काउंट’ से बना प्रॉफिटेबल बिजनेस

साल 2013 में अशोक रेड्डी का शुरू किया गया स्टार्टअप ग्रैबऑन ऑनलाइन शॉपिंगबफ्स के लिए एक ऐसा मनी सेविंग ऑप्शन है जो उन्हें एग्जिस्टिंग ऑफर्स के साथ और भी  ज्यादा पैसे सेव करने की अपाॅर्च्युनिटी देता है। ई-कॉमर्स की ग्रो करती दुनिया में यह एक यूनीक कॉन्सेप्ट था और इस कॉन्सेप्ट को एप्लिकेबल बनाया अशोक रेड्डी ने।  अशोक एक कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट होने के साथ-साथ बिजनेस मैनेजमेंट ग्रेजुएट भी हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि ई-कॉमर्स के बढ़ते हुए मैग्निट्यूट को देखते हुए उन्हें ख्याल आया कि क्यों न वो इस प्लैटफॉर्म को यूनीक सेविंग ऑफर्स के साथ और भी ल्यूकरेटिव बना दें।  उन्हें ई-कॉमर्स में अपाॅर्च्युनिटीज नजर आईं और अपने आइडिया में भी। उन्हें यकीन था कि उनका आइडिया इस ग्रोइंग इंडस्ट्री के साथ ग्रो करेगा। ग्रैब ऑन को स्टार्ट करने का उनका मकसद यही था कि इंडियन शॉपिंग बफ्स को ज्यादा से ज्यादा पैसे सेव करने का मौका मिल सके।

ऐसे आया यूनीक आइडिया
अशोक ने पहले ग्रैब ऑन की पेरेंट कंपनी में इंस्पायर लैब्स नाम से एक ऐसा प्लैटफॉर्म क्रिएट किया जहां लोग अपने स्टार्टअप आइडियाज डिसकस कर सकते थे, उन्हें शुरू कर सकते थे और अपने बिजनेस को सक्सेसफुल बना सकते थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में काफी पोटेंशियल है जो फ्लिपकार्ट, जबॉन्ग जैसी कई कंपनीज के साथ तेजी से बढ़ रहा था। यही वजह थी कि उन्होंने अपना रुख इस तरफ किया और इसमें संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दीं और फिर एक दिन उन्हें ग्रैबऑन का आइडिया आया। पर ये इतना ईजी नहीं था। अशोक का कहना है कि कई दिनों और हफ्तों तक उन्होंने कई तरह के आइडियाज के बारे में सोचा और उन पर काम किया। इस बीच कई आइडियाज रिजेक्ट हुए और उन्हें रिवाइज किया गया। पेरेंट कंपनी इंस्पायर लैब्स ने अशोक के कई आडियाज को पूरी तरह से एनालाइज करने के बाद ग्रैबऑन पर मुहर लगाई।

यूजफुल और क्विक रेवेन्यू जेनरेशन
ग्रैबऑन के सक्सेसफुल होने की एक वजह ये भी है कि यह एक यूजफुल इनोवेशन था जहां कंज्यूमर्स को अपने कंफर्ट के मुताबिक डिसकाउंट कूपंस की इंफॉर्मेशन मिल जाती है। ग्रैब ऑन के 4100 से भी ज्यादा कंपनीज के साथ टाईअप्स हैं जो उसे रेवेन्यू जेनरेट करने में हेल्प करते हैं। जिन कंपनीज के लिए ग्रैबऑन कूपंस देता है, वो सभी इस डील का कुछ हिस्सा ग्रैबऑन को देती हैं। इस तरह से यह अपनी इनकम जेनरेट करता है।

चैलेंजेस को टैक्टफुली फेस करें
अशोक का मानना है कि कूपन और डील्स इंडस्ट्री में पकड़ बनाना इतना ईजी नहीं था। और उनके सामने भी हर दिन अलग-अलग तरह के चैलेंजेस आए। लेकिन उनके मुताबिक चैलेंजेस कितने बड़े हैं, ये देखने की बजाय हमें उन्हें सॉल्व करने पर फोकस करना चाहिए। अपने प्रोजेक्ट को सक्सेसफुल बनाने के लिए उन्होंने अलग-अलग फील्ड और एक्सपीरियंस लोगों का हाथ थामा और मिलकर सभी टेक्निकल चैलेंज को फेस किया और आगे बढ़ते गए।

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