विज्ञान और तकनीक पर हमारी निर्भरता तेजी से बढ़ी है। हो भी क्यों नहीं, इसने हमारे जीवन की राह को काफी हद तक आसान बनाया है। इसके बावजूद कुछ पल ऐसे आते हैं जब हम खुद को वक्त, किस्मत या भगवान के भरोसे छोड़ देते हैं। ऐसे पलों से हमें निजात दिलाने के लिए हमारे वैज्ञानिक शिद्दत से प्रयासरत हैं। ट्रिपलआईटी प्रयागराज के प्रोफेसर और शोध छात्र ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो दुर्गम व संवेदनशील स्थलों पर त्वरित और प्रभावी मदद करने में सक्षम होगा।
ट्रिपलआईटी में आईटी विभाग के प्रो. पवन चक्रवर्ती के निर्देशन में शोध छात्र आलोक रंजन साहू ने एक रोबोट तैयार किया है जो आपदा प्रबंधन, परमाणु संयंत्रों की मरम्मत या निरीक्षण अथवा जटिल संयंत्रों की त्वरित मरम्मत में मददगार होगा। यह अनूठा रोबोट आम रोबोट से अलग है। यह रोबोट ऑक्टोपस टेंटेकल्स या सांप की तरह काम करेगा। दरअसल, यह रोबोट उन स्थानों पर सुगमता से पहुंच जाता है जहां दूसरे उपकरण या रोबोट नहीं पहुंच पाते हैं।
शोध छात्र आलोक रंजन साहू ने बताया कि आपदा में फंसे शख्स तक प्रभावी मदद आसानी से पहुंचाया जा सकता है। यही नहीं परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण या मरम्मत बेहद जोखिम भरा काम होता है लेकिन यह रोबोट इस काम को बेहद सुगमता से करने में सक्षम है। इलेक्ट्रिक या वाटर टर्बाइन सरीखी बड़ी मशीनों की मरम्मत या रखरखाव के लिए उन्हें खोलना पड़ता है, जिसमें लंबा वक्त लग जाता है। ऐसी जटिल मशीनों का रखरखाव और मरम्मत इस रोबोट की मदद से कम खर्च और कम वक्त में किया जा सकेगा।
आलोक रंजन साहू ने बताया कि पिछले लगभग पांच साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। कोविड-19 के कारण थोड़ा वक्त लग गया। स्वदेशी रूप से विकसित इस रोबोट को ट्रिपलआईटी के एप्लिकेशन लैब में स्थापित किया गया है। भविष्य में इसमें जरूरतों के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल-एससीआई/एससीईई में यह शोध प्रकाशित हो चुका है। एनडीआरएफ नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के लिए यह रोबोट बेहद मददगार साबित हो सकता है।