हरियाणा और महाराष्ट्र के हालिया विधानसभा चुनाव में अनुकूल नतीजे न आने से चिंतित भाजपा को अब झारखंड विधानसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। अस्तित्व में आते ही लगातार सियासी अराजकता के कारण बदनाम रहे इस सूबे में भाजपा ने पहली बार सियासी स्थिरता लाने में कामयाबी हासिल की है।
आदिवासी बाहुल्य इस सूबे के पहले गैरआदिवासी सीएम और बतौर सीएम पहली बार अपना कार्यकाल पूरा करने वाले रघुवर दास को यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और वामदलों के महागठबंधन से मुकाबला करना होगा।
हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में अनुकूल परिणाम न आने से भाजपा चिंतित होने के साथ ही बेहद सतर्क भी है। पार्टी को पता है कि इस राज्य में हाथ आई असफलता के कारण देश भर में भाजपा का ग्राफ गिरने की धारणा बनेगी। यही कारण है कि पार्टी ने यहां राष्ट्रवाद के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को भी महत्व देने का फैसला किया है।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव से पहले अयोध्या विवाद का फैसला आ जाएगा। अगर फैसले हिंदू समाज के हक में आया तो राम मंदिर के साथ अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का मामला चल निकलेगा। इसके साथ ही पार्टी वहां पहली बार स्थिर सरकार लगा कर सियासी अराजकता खत्म करने को भी प्रमुख मुद्दा बनाएगी।