लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा के साथ गठबंधन के बाद भी घाटे में रही समाजवादी पार्टी को झटके पर झटका लगता जा रहा है। नीरज शेखर व सुरेंद्र नागर के बाद अब संजय सेठ ने भी राज्यसभा सदस्य पद छोड़ दिया है। नीरज शेखर व सुरेंद्र नागर के बाद अब संजय सेठ समाजवादी पार्टी छोडऩे वाले तीसरे नेता हैं। माना जा रहा है कि वह भी भाजपा में शामिल होंगे।
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव की तैयारी में लगी है। इसी बीच तीन झटकों से पार्टी अब बैकफुट पर है। इसके चलते प्रदेश की 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी प्रभावित होती दिख रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से नीरज शेखर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सुरेंद्र नागर के बाद मध्य उत्तर प्रदेश के संजय सेठ के राज्यसभा से इस्तीफा देने से समाजवादी पार्टी में खलबली मच गई है। अब यूपी से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हैं और इन पर जल्द उपचुनाव होगा।
राज्यसभा में आज कश्मीर मुद्दे पर चल रही बहस के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद संजय सेठ ने इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने इस बात की जानकारी दी। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने भी राज्यसभा और सपा से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन की थी। इस इस्तीफे के बाद अटकलें लगायी जा रही है कि संजय सेठ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले नीरज शेखर और सुरेंद्र नागर ने भी इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था। संजय सेठ का इस्तीफा समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
संजय सेठ सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा के बीच गठबंधन के पीछे भी संजय सेठ का ही हाथ था। संजय सेठ ने ही अखिलेश और मायावती के बीच बैठक कराई थी जिसके बाद गठबंधन का ऐलान हुआ था।
संजय सेठ मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक के खास दोस्तों में से भी एक हैं। 55 साल के संजय सेठ यूपी के बड़े रियल एस्टेट कारोबारी में से एक हैं। शालीमार ग्रुप के मालिक हैं। उन्नाव के निवासी संजय सेठ लखनऊ यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। संजय ने रियल एस्टेट मार्केट में अपने कदम 1985 में रखा। उन्होंने एसएएस होटल्स एंड प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू की थी। इसी का बाद में नाम बदल कर शालीमार ग्रुप करा गया। शालीमार ग्रुप उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बिल्डर ग्रुप्स में से एक है।
लोकसभा चुनाव में बसपा से गठजोड़ करने और बाद में टूट जाने का नुकसान समाजवादी पार्टी को हुआ। लोकसभा में सदस्य संख्या बहुजन समाज पार्टी से कम हो गई। बसपा जीरो से दस पर आ गई है। वरिष्ठ नेताओं का पार्टी छोड़कर जाने का क्रम जारी है। पूर्वांचल में नीरज शेखर और पश्चिमी उप्र में सुरेद्र नागर का त्यागपत्र पार्टी को बड़ा झटका है।
एक माह के भीतर राज्यसभा के दो सदस्यों के अलावा अभी कई प्रमुख नेता भाजपा नेतृत्व के संपर्क में है। शेखर, नागर व संजय सेठ इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा में सपा के दस सदस्य बचे हैं। इनमें जावेद अली, तजीन फातिमा, बिशंभर प्रसाद निषाद, जया बच्चन, चंद्रपाल सिंह, प्रो. रामगोपाल, सुखराम सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, रवि प्रकाश व रेवती रमण हैं।
अभी और इस्तीफे संभव
समाजवादी पार्टी से अभी कई बड़े नेताओं के त्यागपत्र की उम्मीद है। इनमें विधान परिषद के दो सदस्यों के नाम भी लिए जा रहे हैं। विधानसभा में 13 रिक्त सीटों का उपचुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही प्रदेश स्तर के कुछ प्रमुख नेताओं के इस्तीफे होने की आशंका जताई जा रही है।
अटका संगठन का पुनर्गठन
सपा में मची भगदड़ को देखते हुए संगठन का पुनर्गठन भी अटका है। लोकसभा चुनाव के बाद संगठन को नए सिरे से तैयार करने की चर्चा चल तो रही है लेकिन अभी इसमें तेजी नहीं है। संगठन में परिवर्तन कर ही सपा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरने की रणनीति बनाए है लेकिन डर है कि पदाधिकारियों की घोषणा होते ही कुछ और त्यागपत्रों का झटका न लग जाए।
बसपा का दांव भारी
विधानसभा उपचुनाव में उतरने की बसपा की घोषणा भी सपा के लिए खतरे की घंटी है। प्रदेश की जिन 13 सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव होने हैं उनमें से सपा और बसपा के कब्जे वाली एक-एक सीट ही है परंतु बसपा का दलित- मुस्लिम समीकरण भारी पड़ता दिख रहा है। इसकी काट के लिए सपा की ओर से रालोद जैसे छोटे दलों में तालमेल की कोशिशें की जा रही हैं।