जिला स्तर पर कृषि मौसम इकाइयों को फिर से शुरू करने की तैयारी

जिला स्तर पर मौजूद कृषि मौसम इकाइयों को पिछले साल नीति आयोग की सिफारिश के बाद बंद कर दिया गया था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि सरकार जिला कृषि मौसम इकाइयों को फिर से स्थायी तौर पर शुरू करने की तैयारी कर रही है। इससे देश के लाखों किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम संबंधी जानकारी मिल सकेगी।

केंद्र सरकार पिछले साल बंद की गई जिला कृषि मौसम इकाइयों को फिर से स्थायी तौर पर शुरू करने की तैयारी कर रही है। इससे देश के लाखों किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम संबंधी जानकारी मिल सकेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि सरकार जिला स्तर पर कृषि मौसम इकाइयों को स्थायी रूप से शुरू करने के लिए काम कर रही है।

दरअसल, जिला स्तर पर मौजूद कृषि मौसम इकाइयों को पिछले साल नीति आयोग की सिफारिश के बाद बंद कर दिया गया था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि जिला स्तर पर कृषि मौसम इकाइयों को शुरू करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था। इसके जरिये किसानों को मौसम की जानकारी प्रदान की गई।

इस इकाई में कृषि मौसम विज्ञानी यह विश्लेषण करते हैं कि मौसम की स्थिति फसलों को कैसे प्रभावित करेगी? उसकी प्राथमिक भूमिका किसानों को सलाह देना है। पायलट प्रोजेक्ट में बेहतरीन तरीके से काम हुआ, लेकिन इसे अस्थायी नहीं रहना नहीं चाहिए। इसे स्थायी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कार्य के लिए एक मजबूत ढांचा स्थापित करना चाहती है।

सूत्र बताते हैं कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय को जिला कृषि मौसम इकाइयां फिर से शुरू करने को लेकर पत्र लिखा है। साथ ही इकाइयों को बंद करने को लेकर चिंता जताई है। पिछले साल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि सरकार जिला कृषि मौसम इकाई को औपचारिक रूप देने का इरादा रखती है। अभी तक यह इकाइयां अस्थायी प्रकृति की थीं, जिनमें कर्मचारियों को प्रति परियोजना के आधार पर नियुक्त किया जाता था। इस बार जिला कृषि मौसम इकाइयां स्थायी होगी। इसमें स्थायी और संविदा कर्मचारी दोनों शामिल होंगे।

किसानों को मौसम की जानकारी देने के लिए की गईं पहल
2015 में सरकार ने किसानों को फसल और स्थान-विशिष्ट विस्तृत सलाह प्रदान करने के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीएमएसवी) शुरू की थी। इसके साथ ही बीते वर्षों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से देश के कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट (एएमएफयू) स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक एएमएफयू चार से पांच जिलों को सेवाएं प्रदान करता है। इसके अलावा 2018 में सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में 530 जिला एग्रोमेट इकाइयां स्थापित की। कोविड महामारी ने इस प्रक्रिया को प्रभावित किया। इसके चलते केवल 199 कृषि मौसम इकाइयां ही स्थापित की जा सकीं।

स्टाफ के पुनर्मूल्यांकन का दिया गया था सुझाव
फरवरी 2023 में व्यय वित्त समिति की बैठक में नीति आयोग के एक वरिष्ठ सलाहकार ने प्रत्येक कृषि मौसम इकाई में स्टाफ की आवश्यकता का पुनर्मूल्यांकन करने का सुझाव दिया था। अधिकारी ने कहा था कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में क्षेत्रीय इकाइयों के बजाय केंद्रीकृत इकाइयां हो सकती हैं क्योंकि डाटा का ऑटोमैटिक संग्रह होता है। इसके बाद 17 जनवरी को आईएमडी ने सभी जिला कृषि मौसम इकाइयों को पत्र लिखकर वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंत तक अपना परिचालन बंद करने को कहा था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश समेत कई राजनेताओं ने इसका विरोध किया था।

कर्मचारी बोले- किसान मौसम इकाइयों पर निर्भर
जिला कृषि मौसम इकाई में कार्यरत रहे कर्मचारियों का कहना है कि लाखों किसान महत्वपूर्ण कृषि मौसम सलाह के लिए उन पर निर्भर हैं, जिससे उन्हें खराब मौसम और जलवायु प्रभावों के खिलाफ अपने नुकसान को कम करने और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावा राशि कम करने में मदद मिली है। खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता के बावजूद भारत में कृषि मौसम की अनिश्चितताओं के प्रति संवेदनशील है। लू और बाढ़ ने विशेष रूप से भारत में फसल उत्पादन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

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