एक पुरानी कहावत है कि जब किसी एक का नुकसान होता है तो दूसरे को उसका फायदा मिलता है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन ने पंजाब और हरियाणा में यही किया है. इसकी वजह से दोनों राज्य में रिलायंस जियो के सब्सक्राइबर की संख्या घटी है तो वहीं इसका फायदा एयरटेल और वी को मिला है.
दूरसंचार नियामक TRAI के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में रिलायंस जियो के सब्सक्राइबर की संख्या नवंबर में 94.48 लाख थी जो दिसंबर में घटकर 89.07 लाख रह गई. वहीं राज्य में एयरटेल के नवंबर में 49.56 लाख सब्सक्राइबर थे जो दिसंबर में बढ़कर 50.79 लाख हो गए. जबकि वी (Vodafone Idea) के सब्सक्राइबर की संख्या 80.23 लाख से बढ़कर 80.42 लाख हो गई.
जियो के सब्सक्राइबर की संख्या पंजाब में भी घटी है. नवंबर में यहां कंपनी के 1.40 करोड़ सब्सक्राइबर थे जो दिसंबर में घटकर 1.24 करोड़ रह गए. वहीं वी के सब्सक्राइबर की संख्या नवंबर में 86.42 लाख थी जो दिसंबर में बढ़कर 87.11 लाख हो गई. एयरटेल के सब्सक्राइबर भी राज्य में बढ़े हैं. नवंबर में इनकी संख्या 1.05 करोड़ थी जो दिसंबर में 1.06 करोड़ हो गई.
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी BSNL को भी दोनों राज्यों में किसान आंदोलन का फायदा मिला है. दोनों राज्यों में कंपनी के सब्सक्राइबर की संख्या बढ़ी है. सिर्फ रिलायंस जियो ही ऐसी कंपनी रही है जिसके सब्सक्राइबर इन दो राज्य में घटे हैं.
हालांकि जियो को सिर्फ इन दो राज्यों में ही सब्सक्राइबर का नुकसान हुआ. इसके अलावा अन्य सभी दूरसंचार सर्किल में उसके सब्सक्राइबर की संख्या बढ़ी है. वहीं वी को सिर्फ इन दो राज्यों में सब्सक्राइबर बढ़ने का लाभ मिला है अन्यथा अन्य सभी सर्किलों में उसके सब्सक्राइबर कम हुए हैं. एयरटेल इकलौती कंपनी है जिसके सब्सक्राइबर हर जगह बढ़े हैं.
कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह और गौतम अडाणी के अडाणी समूह को लाभ पहुंचने की आशंकाओं के चलते किसान कृषि कानूनों के साथ-साथ इन दोनों कंपनियों का भी बहिष्कार कर रहे हैं. अपना विरोध दर्ज कराने के लिए किसान संगठनों ने जियो कनेक्शन छोड़ने का आह्वान किया है जिसके बाद इन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर लोगों ने जियो का नंबर अन्य कंपनियों पर पोर्ट कराया है.
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