प्राइमरी स्कूल जाने की उम्र वाली करीब 32 फीसदी लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं। इसमें लड़कों की संख्या 21 फीसदी है। कई लड़कियों से समूह के कार्यकर्ताओं ने बात की तो पता चला कि वह पढ़ना चाहती हैं लेकिन वह बिना शिक्षा के ही रह रही हैं। समूह ने रिपोर्ट के लिए 209 लोगों से बात की जिसमें अधिकतर लड़कियां थीं।
लड़कियों के अलावा उनके माता-पिता शिक्षक विशेषज्ञ और कार्यकर्ताओं से भी बात की गई। इसी सप्ताह आई एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में करीब सवा दो करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इन बच्चों में अधिकतर लड़कियां हैं। यह रिपोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ह्यूमन राइट वॉच ने तैयार की है। रिपोर्ट का नाम है मैं अपनी बेटी को भोजन दूं या उसे पढ़ाऊं।
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रिपोर्ट में कहा गया है जुलाई 2018 में चुन कर आई नई सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में भी सवा दो करोड़ बच्चों के स्कूल न जाने की बात कही थी। वहीं साल 2017 में पाकिस्तान ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.8 फीसदी से भी कम शिक्षा पर खर्च किया है।
रिपोर्ट में ऐसा होने के पीछे के कई कारण बताए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में अच्छी गुणवत्ता के स्कूलों की कमी है भ्रष्टाचार अधिक है राजनीति अस्थिरता है धार्मिक तनाव अधिक है साथ ही मीडिया और नागरिक समाज का दमन भी यहां होता है। जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा लड़कियों पर ही पड़ता है।